एक निःशब्द दिन
पीड़ा बहुत दी,
किन्तु सुकून से पूर्ण
मौन आत्मा से
मनन करके
kuchh अच्छा ही पाया
वाणी संयम की shiksha
व्यर्थ ही नहीं दी गयी।
तब हम तलाशते हैं
अंतर में प्रतिष्ठित
सत-असत विचारों को
तर्क और वितर्क से
ग्राह्य -अग्राह्य के बीच
भेद करते हुए
ग्रहण करने के लिए
प्रतिबद्ध होते हैं।
बहुत न सही
आत्मशोधन की ये क्रिया
मानव मन से
महा मानव बनाने की दिशा में
एक रोशनी की लकीर
जरूर बनती है।
जो है सत्य जीवन का ।
अनंत पथ है जीवन का।
सोमवार, 25 अप्रैल 2011
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3 टिप्पणियां:
महा मानव बनाने की दिशा में
एक रोशनी की लकीर
जरूर बनती है।
जो है सत्य जीवन का ।
अनंत पथ है जीवन का।... bahut achhi rachna
adhyatam ki taraf le jati sunder prerak post. badhayi.
बहुत गहन अभिव्यक्ति
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