![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhJCLr9ZxzCEJm5MvwNT-70i_57Bq3w9z_m-6Sb9Tt5POb-qCPI1iEuRFciDSWSX0NObo_TVIQAKK_3V4uReyyDCq4HMxRRigMZ953LriB2UK1KdZPmccJLdPiKXqCqwU9p0cc6Or-fcNT4/s200/anna.jpg)
आज फिर आज़ादी जैसा जूनून भरा है मन में ,
ऐसा ही जोश छलक छलक रहा है जन जन में।
नहीं खबर है उनको इसकी कि दिन है या रात ,
पीछे तुम्हारे चलना है बस यही मन में एक बात।
गाँधी का प्रतिरूप मान कर साथ है आपके जनमानस,
उनके जैसे कदम बढे तो साथ हो चला ये जनमानस।
बौखलाहट में उनको अब नहीं कुछ भी सूझ रहा,
उबल बड़ा है राष्ट्र एकदम जो मनमानी से जूझ रहा।
ज्वालायें अब थाम चुके हैं प्रतिरोध की हाथों में ,
संघर्ष की माटी का तिलक लगा अपने माथों में।
यह जो जंग छिड़ी है तो अब परिणाम तक जानी है।
दिवस , माह औ' वर्षों तक चलाने की ही ठानी है।
बालक , युवा औ' वृद्धों ने अब मशाल थामी है,
जो हैं अशक्त तन से उनकी भी इसमें हामी है।
वे इतिहास दुहरा नहीं फिर से बना रहे नया हैं ,
पर मिट्टी में मिल जाने का इतिहास वही रहा है।
बचा नहीं पायेगा उनका धन भंडार अकूत,
मान प्रतिष्ठा डूब गयी तो क्या करेगा भूत।
वर्तमान में मांग यही है बस कुचले भ्रष्टाचार ,
पालकों को उसके सिखा ही देंगे ये है सदाचार .
ऐसा ही जोश छलक छलक रहा है जन जन में।
नहीं खबर है उनको इसकी कि दिन है या रात ,
पीछे तुम्हारे चलना है बस यही मन में एक बात।
गाँधी का प्रतिरूप मान कर साथ है आपके जनमानस,
उनके जैसे कदम बढे तो साथ हो चला ये जनमानस।
बौखलाहट में उनको अब नहीं कुछ भी सूझ रहा,
उबल बड़ा है राष्ट्र एकदम जो मनमानी से जूझ रहा।
ज्वालायें अब थाम चुके हैं प्रतिरोध की हाथों में ,
संघर्ष की माटी का तिलक लगा अपने माथों में।
यह जो जंग छिड़ी है तो अब परिणाम तक जानी है।
दिवस , माह औ' वर्षों तक चलाने की ही ठानी है।
बालक , युवा औ' वृद्धों ने अब मशाल थामी है,
जो हैं अशक्त तन से उनकी भी इसमें हामी है।
वे इतिहास दुहरा नहीं फिर से बना रहे नया हैं ,
पर मिट्टी में मिल जाने का इतिहास वही रहा है।
बचा नहीं पायेगा उनका धन भंडार अकूत,
मान प्रतिष्ठा डूब गयी तो क्या करेगा भूत।
वर्तमान में मांग यही है बस कुचले भ्रष्टाचार ,
पालकों को उसके सिखा ही देंगे ये है सदाचार .