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शुक्रवार, 30 मार्च 2012

मैं शिव नहीं !


जन्म लिया
फिर होश संभाला
कुछ आदर्श ' मूल्य
मेरे लिए अमूल्य थे
शायद प्रकृति ने भरे थे
जिया उनको
पिया हलाहल
इस जगत के विषपायी
शायद देख पाए,
दंश पर दंश दिए
'
मैं जीवन भर
लक्ष्य के सलीब
काँधे पे धरे
चलता ही रहा
पत्थरों की चोट भी
चुपचाप सहता रहा
व्यंग्य और कटाक्षों से
छलनी हुआ बार बार
विष बुझे वचनों के तीर
आत्मा में चुभते रहे
पर
अब तक शिव नहीं बन पाया
अब
वो हलाहल कंठ से
नीचे उतरने लगा
तब लगा कि
मैं शिव नहीं हूँ
अब बनाकर जीना है
जिनका दिया विष है
उन्हें ही
अब वापस करना है ,
मैं शिव नहीं हूँ
और हो भी नहीं सकता हूँ

मंगलवार, 6 मार्च 2012

होली ! होली ! होली!




बुरा न मानो होली है !

रंग की पिटारी बंद रखी है,
हाथ में लिए गुलाल और रोली है।

बुरा न मानो होली है।

मंहगी शक्कर , मंहगी खोया ,
करें क्या गुझिया बनी कुछ पोली है।

बुरा न मानो होली है !

बजे ढोल और बजे मृदंग,
नाच रही थापों पर हुरिआरों की टोली है।

बुरा न मानो होली है !

होली में लगे ससुर भी देवरा ,
डाल रंग घूंघट में बहुरिया बोली है।

बुरा न मानो होली है !

बैठी भौजी राह देखती
देवरा ने कहाँ ठंडाई घोली है।

बुरा न मानो होली है !




शुक्रवार, 2 मार्च 2012

मेरी यायावरी !

यायावरी ने

मुझको इंसान बना दिया।

दुनियाँ के देखे maine

रंग इतने सारे

ki kadam कदम पर

हर इंसान का नया चेहरा दिखा दिया,

यायावरी ने

मुझको संजीदा बना दिया।

रिश्तों के बीच में

परिभाषा क्या होती है?

janma से mile rishte

अर्थ के जाते

kaise badal जाते hain

नए अर्थों को सिखा दिया,

यायावरी ने

मुझको duniyandar बना दिया।

maataaon के chehre kee

geelee see jhurriyan,

दर्द को पीते पिता की

माथे की लकीरों को

परवरिश की कमियों में छुपाते हुए देखा

यायावरी ने

मुझको हकीकत छिपाना सिखा दिया।

बचपन को सड़कों पर

कुछ खोजते हुए देखा

बीमार जननी-जनक की

बीमारी कि खातिर

बोझा उठते बचपन को

बुढ़ाते हुए देखा,

यायावरी ने

मुझको बूढा बचपन दिखा दिया।

बेटियों वाले घर में

बेटा नहीं तो क्या?

बेटियों ने खुद को

बेटा बनाकर दिखा दिया

बेटे के फर्ज को

उन्होंने मुखाग्नि देने तक निभा दिया,

यायावरी ने

मुझको जीवन का नया रंग दिखा दिया।