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रविवार, 31 अक्तूबर 2021

दीपावली !

 पाँच दिवस का पर्व मनायें 

मन से सबकी कुशल मनायें।


धन्वंतरि की पूजा करके हम

माँगें आरोग्य का अटल आशीष।

यम के नाम का दीप जलाकर

अकाल मृत्यु से बचें नवाओ शीष।


नरक चतुर्दशी पूजो माँ काली

समुद्र मंथन से प्राप्त विभूति हैं।

अपने मन की मिटाओ कलुषता 

सबको मन के प्यार से जीतो ।


दीपावली का पर्व सुखद सुहाना,

हर्ष,उल्लास और उत्साह भरा हो, 

जाना उस द्वार पर भी तुम आज, 

जहाँ गम के तिमिर ने डाला डेरा  हो।


अन्नकूट औ' गोवर्धन पूजा कर ,

सुख सम्पन्नता का सब माँगें वर ।

चलो निभायें ये परम्पराएँ हम ,

छप्पन भोग बना कर घर - घर।


भाई दूज की भी महिमा है भारी,

यमुना चली टीका लेकर यम द्वार।

चित्रगुप्त पूजन कर कलम उठायें

 पायें लक्ष्य करके हर बाधा पार।


   दीपावली सबको मंगलमय हो ।

शनिवार, 11 सितंबर 2021

आस लिए बैठे हैं !

 वक्त गुजरता जा रहा है तूफान की तरह तेजी से ,

हम पोटली थामे यादों की आज भी लिए बैठे हैं ।


दौड़ नहीं पाये संग संग उसके तो पीछे रह गये ,

थाम कर बीते दिन पुराने कलैण्डर से लिए बैठे  हैं ।


पाँव थक गये थे दौड़ना सिखाते सिखाते उनको ,

आयेंगे वो पलट कर साथ ले जाने आस लिए बैठे हैं।


हमारी तो ये धरोहर है जीवन की सुनहरे पलों की ,

आये तो जलाकर चल दिये हम राख लिए बैठे हैं ।


-- रेखा

निस्पृह बनो !

 मन स्थिर तो नहीं

लेकर दायित्वों का बोझ 

चलना तो धर्म कहा जाता है,

सोचते हैं कि चल आज की परिधि में,

समेट लें अपने को और चुपचाप चलो,

पर ये आज ही तो है , जिसकी सीमाएँ अतीत से भविष्य तक फैली रहती हैं।

फिर कैसे हो समाधान इसका ?

सीमित आज में हो,

न अतीत और न आनेवाला कल 

किसी पर हक नहीं तुम्हारा 

फिर क्यों आशा का दीप जलाये बैठा जाय ।

अपना तो एक सपना है,

कोई नहीं अपना एक पल भी नहीं,

फिर क्यों तृष्णा में फँसाए ये जीवन 

जीने के नये नये किरदारों की सोचें ।

शांत मन से कर्म कर 

जो पल मिले, जो आज मिले 

और जिओ जी भर कर 

मनुज बन कर ही रहना होगा

हर पल जीवन सच जीना होगा ।