प्रेम
दिखाना नहीं पड़ता
हमने तो खोले
अपने हृदय के द्वार
बैरी का भूल कर बैर ,
बढे आगे गले लगाने को
पर ये क्या ?
वे दिल के द्वार से
बगल में
नफरत का हथियार लिए
मुस्कराते आ गए .
वे समझे
चेहरे की मुस्कान ही
हम हकीकत समझ लेंगे
पर
प्रेम वो अहसास है
जिसे
दिखाना नहीं होता
दिल के द्वार पर दस्तक होती है
बाहर कौन खड़ा है?
नफरत या उल्फत
वो समझ सकता है।
फिर अहसास का भुलावा
कोई दे ही नहीं सकता .
हाँ जानबूझ कर
अनजान बने
मापते रहे
उनके प्यार की गहराई
उसमें तो नफरत पैबस्त थी,
नजर आ गयी .
जुबान, नज़रें , और दिल
एक साथ जुड़े हैं,
दिल की नफरत
जुबान पर न सही
आखों में कहीं
नजर आ ही जाती है।
वे समझे धोखा दे दिया।
लेकिन नहीं धोखा हम खाए नहीं,
वे धोखा देने का
नाटक कर गए
और हम
उनकी हकीकत से
वाकिफ होकर
सतर्कता से
उनकी नफरत की इबारत पढ़ गए।
दिखाना नहीं पड़ता
हमने तो खोले
अपने हृदय के द्वार
बैरी का भूल कर बैर ,
बढे आगे गले लगाने को
पर ये क्या ?
वे दिल के द्वार से
बगल में
नफरत का हथियार लिए
मुस्कराते आ गए .
वे समझे
चेहरे की मुस्कान ही
हम हकीकत समझ लेंगे
पर
प्रेम वो अहसास है
जिसे
दिखाना नहीं होता
दिल के द्वार पर दस्तक होती है
बाहर कौन खड़ा है?
नफरत या उल्फत
वो समझ सकता है।
फिर अहसास का भुलावा
कोई दे ही नहीं सकता .
हाँ जानबूझ कर
अनजान बने
मापते रहे
उनके प्यार की गहराई
उसमें तो नफरत पैबस्त थी,
नजर आ गयी .
जुबान, नज़रें , और दिल
एक साथ जुड़े हैं,
दिल की नफरत
जुबान पर न सही
आखों में कहीं
नजर आ ही जाती है।
वे समझे धोखा दे दिया।
लेकिन नहीं धोखा हम खाए नहीं,
वे धोखा देने का
नाटक कर गए
और हम
उनकी हकीकत से
वाकिफ होकर
सतर्कता से
उनकी नफरत की इबारत पढ़ गए।