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शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

हाईकू !

रिश्तों में देखें
ईमान भावना का
ताउम्र रहें .
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रिश्ते का घर
प्रेम से ही जोडिए
पुख्ता रहेगा .
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कौन करेगा
रिश्तों में वो यकीन
जिसे होना हो।
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 माँ की कोख से
मैं बुजुर्ग हो गयी
दिए तानों से .
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नारी दिवस
कुछ भाषण दिए
फिर गालियाँ . .
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सृष्टि बदलो
गर्भ में अब से ही
बेटों को मारो.
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 लाशें पूछती 
सवाल हैवानों से 
मेरा कुसूर ? 
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मंशा अपनी 
हमको बताये वे 
देना आता है. 
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रक्त पिपासु 
ये निर्दोषों का रक्त 
व्यर्थ न होगा .
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रोती आँखों से 
सवाल करते वे 
मेरा कुसूर ? 
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खबर मिली 
चुप बैठे हैं हम 
हादसा हो तो .
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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

हैवानियत का खेल !

बम के धमाके 
चीखें, खून और लाशें 
कुछ पल पहले 
वह जिन्दगी के लिए 
खरीद रहे थे ,
फल , कपडे और जीने के लिए और कुछ 
और एक वो पल 
जिसने उन्हें 
इंसान से लाश बना दिया, 
पैरों पर खड़े लोगों को 
अस्पताल पहुंचा दिया .
गोली , बारूद और धमाकों के 
जिम्मेदार पागल लोग कहते हैं 
कि  हम धर्म के लिए 
लड़ रहे हैं .
कुछ दहशतगर्दों  की 
मौत का बदल ले रहे है।
उनसे ही एक सवाल ?
किस धर्म ने कहा है -
इंसान को मार दो 
किस धर्म ने कहा -
उसके नाम पर 
अंधे होकर जिन्दगी छीन लो. 
क्यों अपनी कुंठाओं और वहशत को 
धर्म औ' वर्ग का नाम देते हो. 
खून का कोई रंग नहीं 
कि  मरने वालों का धर्म बता दे ,
मरने वाले सिर्फ इंसान होते हैं 
रोते बिलखते परिवार 
कोई अपना ही खोते है .
जब देने को कुछ नहीं ,
तुम्हारे पास उनको 
क्यों छीनते हो ?
साया उनके सिर से बाप का 
चिराग किसी घर का 
पालनहार  कितनी जिंदगियों का 
 क्या बिगाड़ा है तुम्हारा ?
तुम्हारा जो भी धर्म हो 
एक तरफ खड़े हो जाओ 
खुदा  या ईश्वर  की दुहाई देने वालो 
देखना है कि 
कितने लोग तुम्हारी जमात में आते हैं .
हैवानियत का खेल 
इस जहाँ से 
इंसानियत को मिटा नहीं सकती . 
कोई ताकत तुम बचा नहीं सकती .

सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

ओ गांधारी जागो !




ओ गांधारी जागो !
जानबूझ कर 
मत बाँधो आंँखों पर पट्टी,
सच को न देखने का 
बहाना सब खोज रहे हैं, 
सिर्फ गला फाड़ कर चीखने से 
 आँख बंद कर चिल्लाने से 
मानव नहीं बनते है।  
गांधारी अपनी 
आँखो पर पट्टी खोलने का   
अब वक्त आ गया है,
 दुःशासन को नहीं
जन्म दो अर्जुन का।
अब अनुगमन का नहीं,
अग्रगमन के लिए हो सज्ज 
अपने घर के लाडलों को
 किसी शकुनि के हाथ में नहीं, उसके
साथ ले
द्रौपदी को बेइज्जत नहीं
करने की सीख विद्या होगी तलवार, 
 अब गांधारी नहीं
बल्कि कुंती में शामिल होना होगा।
पांडव जैसे
अपने पुत्रों को
इस देश की मिट्टी की गरिमा से
वंचित कर देंगे।
ये काम सिर्फ तुम्हारे जैसा हो सकता है, सिर्फ तुम्हारे जैसा हो  
सकता है, सिर्फ तुम्हारे और तुम्हारे जैसा हो सकता है। सत्ता का दीवाना या हवस का मालिकाना हक अहम से सराबोर बेटों की अब जरूरत नहीं है तो तुम भी सीखो हो अपने वंश के नाश की त्रासदी भरी है अब अपने लाडलों की खुली आंखों से अपने कोख को लज्जित होने से  बचाओगे। तभी तो भविष्य में इस भारत में कई महाभारत के युद्ध की कहानियां सुनने को मिलेंगी


















। 

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

रिश्तों की नींव!

जोड़ते है 
जब रिश्तों को 
उसमें खून नहीं 
प्यार का सीमेंट चाहिए .
बहुत पुख्ता होते हैं 
वे रिश्ते जिन्दगी में 
गर उनमें न हो 
मिली रेत स्वार्थ की 
या मिटटी गर्ज की 
वे ताउम्र चलने की 
ताकत रखते हैं।
जिन्दगी के  झंझावातों से 
दरकते नहीं ,
तूफानों  में भी 
उनकी नींव हिलती नहीं,
जरूरी नहीं 
वे जुड़े हों 
साथ साथ रहने से 
दूर बहुत दूर 
जिन्दा वे रहते हैं .
ऐसे रिश्तों की 
बस क़द्र कीजिये 
न कोई नाम दीजिये 
न चस्पा कीजिये 
लेबल किसी समूह का।
प्यार ही उसकी 
जाति ,धर्म और कर्म 
बनाये रखिये।
मिसाल  बन याद किये जाते हैं 
इंसानों  के ही  नाम लिए जाते हैं।

बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

हाईकू !

खौफ से भरी 
डबडबाई आँखें 
न बोलें कुछ।
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मासूम बच्ची 
लाश बना दी गयी 
प्रश्न शेष हैं।
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क़ानून तो हैं 
किताबों में रहेंगे 
न्याय न मिला।
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मत दीजिये 
हक मेरे मुझको 
खुद ले लूंगी।
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दौलत रहे 
बेटों को मुबारक 
प्यार हमें दें।
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तुम याचक 
दाता तो मैं रहूंगी 
जन्म जो दिया .
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क्षितिज पार 
गया है क्या कोई भी 
कल्पना ही है। 
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कविता नहीं 
ये दर्द ही  है मेरा 
उबल पड़ा 
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कलम थमी 
इबारत न सही 
स्याही बहेगी।
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