फासले नहीं बनते
मीलों और कोसों से
तार मन के
जहाँ जुड़ते हैं
सारे फासले ख़त्म हो जाते हैं।
ये तार ही तो है -
रोते हुए के आँसू,
पोंछते हैं बार बार ,
सिर पर हाथ फिरा कर
दिलासा दे जाते हैं।
दूर क्यों जाएँ?
देखिये न
जहाँ मिलती हैं
दीवार से दीवारें
औ द्वार द्वार जुड़े हैं
फासले मीलों तक पसरे हैं,
मुँह घुमा कर गुजर जाते हैं,
सिसकियों पर मुस्कराते हैं,
ये फासले
होते हैं कितने लम्बे
इंसान के दिलों को तक तोड़ जाते हैं।
मीलों और कोसों से
तार मन के
जहाँ जुड़ते हैं
सारे फासले ख़त्म हो जाते हैं।
ये तार ही तो है -
रोते हुए के आँसू,
पोंछते हैं बार बार ,
सिर पर हाथ फिरा कर
दिलासा दे जाते हैं।
दूर क्यों जाएँ?
देखिये न
जहाँ मिलती हैं
दीवार से दीवारें
औ द्वार द्वार जुड़े हैं
फासले मीलों तक पसरे हैं,
मुँह घुमा कर गुजर जाते हैं,
सिसकियों पर मुस्कराते हैं,
ये फासले
होते हैं कितने लम्बे
इंसान के दिलों को तक तोड़ जाते हैं।