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शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

हाइकू !

राजनीति में

मुखौटा पहने हैं

नीचे झाँका क्या?

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संसद में हों

संविधान जेब में

स्वयंभू वे  हैं .

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जुबां फिसली

जीभ में हड्डी कहाँ

कुछ भी बोलो?

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मेहनत से

काम करो तो चोरी

हक ही होगा .

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बच्ची मिली है

सड़क के किनारे

क्रूर कौन है?

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उपदेश तो

औरों के लिए होते

घर में नहीं.

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आँसू न रुके

शक्ल बेटी की देख

श्राद्ध कैसे हो?

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पत्थर पूजे

सोचा बेटा ही होगा

बेटी निकली.

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मूर्ति गढ़ी है

इतिहास के लिए

तोड़ो न इन्हें.

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कुर्सी पे बैठ

क्यों बौरा जाते है वे

जमीं न भूलो. .

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6 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

bahut khub ...padhne mein acche lage sabhi हाइकू


दीदी मुझे भी सिखने हैं हाइकू :)))

रविकर ने कहा…

बहुत बढ़िया |
बधाई ||

RITU BANSAL ने कहा…

ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
!!!!!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!!!!!
!!!!!!!!!! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!!!!!!!!
ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत बढ़िया हाइकू |संक्षेप में बहुत कुछ कह जाते हैं |
आशा

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

अंजू, इस विधा में मेरी गुरु संगीता स्वरूप ही है , उनसे मिलो दिशा दे देंगी.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

संसद में हों

संविधान जेब में

स्वयंभू हैं .

रेखा जी ,

आप स्वयं ही बहुत अच्छे हाइकु लिखती हैं ... बस ऊपर वाले में एक परिवर्तन ---अंतिम पंक्ति में चार वर्ण ही बन रहे हैं ...

संसद में हों

संविधान जेब में

स्वयंभू बने ।