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सोमवार, 8 जुलाई 2013

बहुत दिया जिन्दगी तूने ! (ARUNA)

 जिन्दगी 
मुझे तुझसे
कोई  शिकायत नहीं 
जो भी  दिया 
 बहुत काफी है ,
क्योंकि 
तूने मुझे संतोष दिया है .
 देने को 
औरों के लिए 
वह सम्पदा दी है 
जो कभी ख़त्म  नहीं होगी 
 जिसे जरूरतमंद देखा 
उसे भरपूर दिया 
मुझे तूने प्यार इतना  दिया है ..
दौलत तो नहीं दी 
अथाह ,असीमित  
 लेकिन इतनी तो दी ,
खाली झोली में 
कुछ तो डालो 
भूखे न सोये कोई 
ऐसे विचार तो तूने  ही  दिए हैं . 
महल नहीं
बंगला भी नहीं ,
इस धरती पर 
एक झोपड़ी तो दी है ,
जिसकी छत तले 
 दे सकूं पनाह 
खुले आसमान तले
 जीने  वालों को 
ऐसी सोच भी तूने ही तो दी है .

12 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

sarthak prastuti .aabhar

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ८ /७ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

संतोष ही सबसे बड़ा धन है ..... अच्छी प्रस्तुति

Dr. Shorya ने कहा…

बहुत सुंदर, आभार

यहाँ भी पधारे ,
रिश्तों का खोखलापन
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_8.html

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

sunadr rachna ,bahut khoob

Mohinder56 ने कहा…

संतुष्ठी के भाव से परिपूर्ण सार्थक रचना के लिये बधाई.

अजय कुमार ने कहा…

सकारात्मक सोच

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

वाह बहुत खूब रेखा दीदी
सोच हो तो ऐसी हो ...जो आसान नहीं है हर किसी के लिए

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

जो पाया उसकी कदर बिरले ही कर पाते हैं -कितना कुछ दिया है जिन्दगी ने !

Pallavi saxena ने कहा…

कुछ नहीं से कुछ होना अच्छा होता है।

विभूति" ने कहा…

आपने जीवन के सत्य को रख दिया हम सभी के सामने.....

Udan Tashtari ने कहा…

नमन इस सोच को!!