खौफ से भरी 
डबडबाई आँखें 
न बोलें कुछ। 
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मासूम बच्ची 
लाश बना दी गयी 
प्रश्न शेष हैं।
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क़ानून तो हैं 
किताबों में रहेंगे 
न्याय न मिला।
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मत दीजिये 
हक मेरे मुझको 
खुद ले लूंगी।
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दौलत रहे 
बेटों को मुबारक 
प्यार हमें दें।
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तुम याचक 
दाता तो मैं रहूंगी 
जन्म जो दिया .
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क्षितिज पार 
गया है क्या कोई भी 
कल्पना ही है। 
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कविता नहीं 
ये दर्द ही  है मेरा 
उबल पड़ा 
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कलम थमी 
इबारत न सही 
स्याही बहेगी।
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13 टिप्पणियां:
क़ानून तो हैं
किताबों में रहेंगे
न्याय न मिला...
सच को लिखा है .... सभी हाइकू शशक्त ...
बहुत ही सार्थक हाइकू,शब्द कम भाव ज्यादा,अतिसुन्दर।
सभी हाइकु दिल को छू गए रेखा जी हार्दिक शुभ कामनाये
सभी हाइकु मन को छू लेने वाले ...
क़ानून तो हैं
किताबों में रहेंगे
न्याय न मिला।
बहुत बढ़िया रेखा जी ! सभी हाइकू सही निशाने पर लगते हैं ! शुभकामनाएं !
गिने-चुने शब्द
अबाध अर्थ संचार
क्षमता अपार .
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 14-02 -2013 को यहाँ भी है
....
आज की नयी पुरानी हलचल में ..... मर जाना , पर इश्क़ ज़रूर करना ...
संगीता स्वरूप
.
behad sunder , badhai
saadar
खूबसूरत हाइकु ...सार्थक
बहुत सुन्दर...
मन को छूते हुए भाव...
सादर
अनु
बहुत भावपूर्ण हाईकु ...दिल को छू गये...
~सादर!!!
बहुत भावपूर्ण हाईकु ...दिल को छू गये...
~सादर!!!
सभी हाइकु मन को छू गए............
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