बेटी बचाओ 
सृष्टि  बच जायेगी 
अभी वक़्त है।
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भीगा आँचल 
हिलोरती ममता 
हाथ बंधे हैं .
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झुकी पलकें 
शुष्क आँखों की लाली 
वही कहानी। 
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रुदन सुना 
भूख से रोते शिशु 
आहत माँ  है .
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चेत भी जाओ 
वक़्त अभी बाकी  है 
जीना चाहो तो .
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जीवन बीता 
परोपकार में ही 
रीते हाथ हैं।
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आत्मा खुश है 
फटेहाल जीते हैं 
पैमाना क्या हो ?  
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प्राण वायु है 
कब तक चलेगी?
 स्रोत चाहिए . 
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7 टिप्पणियां:
बेहद सशक्त हाइकू।
बहुत सार्थक हैं सबी हाइकू!
रुदन सुना
भूख से रोते शिशु
आहत माँ है .
वाह ... सभी हाइकु बढ़िया हैं ...
उत्ताम संदेशात्मक हाईकु..सार्थक लेखन!
बहुत ही शानदार हायकूज़..
सार्थकता लिए सशक्त हाइकू ... आभार
अर्थपूर्ण हाइकू..
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