उनका ये जीवन!
उनके झुर्रीदार चेहरे पर
मुस्कान कभी जब देखी है ,
वो पल बन गये
जिंदगी के अनमोल पल ।
उन आँखों की चमक में
छलक रही थी ममता ,
वो आलिंगन काँपते हाथों का
दे गया वो सुकून
जो जिंदगी भर खोजते रहें
कहीं और नहीं मिलता ।
ये बुजुर्ग चाहते है
कुछ पल जो हम सिर्फ
उनको दे सकें
सुन सकें उनकी यादों का सिलसिला ।
वे कुछ पल जी लें
उन लोगों की यादों के साथ ,
जो चले गये लेकिन
जिनके साक्षी हमारे बचपन थे ।
कौन उनको साथ देता है,
हमारे पास वक्त नहीं,
हमारे बच्चों को कोई रुचि नहीं,
तब ही तो वृद्धाश्रम के साथी बहुत अपने होते है।
साथ हँसते है,
साथ आँखे भर लेते हैं,
काँधे पर हाथ धर सांत्वना भी देते है।
शायद यही जीवन है अब।
4 टिप्पणियां:
सुंदर चिंतन
आभार
सादर वंदन
सुन्दर सृजन
जीवन का मार्मिक सत्य है।
मन भावुक कर गयी आपकी लिखी अभिव्यक्ति।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ अप्रैल २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुन्दर
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