चिट्ठाजगत www.hamarivani.com

सोमवार, 29 अगस्त 2022

इतिहास बन गए!

 गुजरे साल के वो भयावह दिन ,

किस तरह एक तारीख़ बन गए। 

 

समेट  कर जो कुछ रखा था यादों में ,

कुछ ज़ख्म  कुछ फाहे बन गए। 

 

नहीं जानते कौन कब बेगाने हुए ,

कौन दिल से जुड़े और साये बन गए। 

 

जिया था जीवन साथ जिनके उम्र भर ,

गर्दिश  में देखा तो अनजाने बन गए।

कोई टिप्पणी नहीं: