बेटियों के उदास चेहरे
अच्छे नहीं लगते
माँ के कलेजे में हूक उठती है।
फिर भी
वो खामोशी से सह जाती हैं
पूछने पर
"कुछ नहीं माँ बेकार परेशान रहती हो।
बस थोड़ी सी थकान है।"
वो माँ जो पढ़ लेती है
चेहरे के भाव को
इन दलीलों से संतुष्ट नहीं होती।
वो हँसती , खिलखिलाती ,
कोयल सी आवाज में गाती
तो
ठिठक जाते थे पैर
अब तो गुनगुनाना भी भूल गई ।
जब रखती पाँव मंच पर
रौनक बिखर जाती थी और
एक एक शब्द चुन कर बनाती थी वो प्रवाह
घोलती रस कानों में
मोह लेती थी मन ।
आज खुद को बंद कर एक कमरे में
माँ से भी मुखर नहीं होती ।
गर मुखर होती तो
वो उदास नजरें अपना मुँह न चुराती ।
न वो खामोशी एक माँ को रुलाती ।
अच्छे नहीं लगते
माँ के कलेजे में हूक उठती है।
फिर भी
वो खामोशी से सह जाती हैं
पूछने पर
"कुछ नहीं माँ बेकार परेशान रहती हो।
बस थोड़ी सी थकान है।"
वो माँ जो पढ़ लेती है
चेहरे के भाव को
इन दलीलों से संतुष्ट नहीं होती।
वो हँसती , खिलखिलाती ,
कोयल सी आवाज में गाती
तो
ठिठक जाते थे पैर
अब तो गुनगुनाना भी भूल गई ।
जब रखती पाँव मंच पर
रौनक बिखर जाती थी और
एक एक शब्द चुन कर बनाती थी वो प्रवाह
घोलती रस कानों में
मोह लेती थी मन ।
आज खुद को बंद कर एक कमरे में
माँ से भी मुखर नहीं होती ।
गर मुखर होती तो
वो उदास नजरें अपना मुँह न चुराती ।
न वो खामोशी एक माँ को रुलाती ।
17 टिप्पणियां:
भावूक करती रचना
लड़कियां कहां मन की बात कह पाती है पर मां की नजरेन उस खामोशी को पहचान ही लेती है
सहमत आपसे बेटियाँ चहकती रहें दिल से तो घर और हर माँ की ख़ुशियाँ दूनी हो जाती हैं ... भावुक रचना ...
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-06-2020) को "ज़िन्दगी के पॉज बटन को प्ले में बदल दिया" (चर्चा अंक-3721) पर भी होगी।
--
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना और बड़ी हो सकती थी...ऐसा लगा जैसे कुछ छूट गया...! सुंदर
बढ़िया..., भावुक रचना
जी वो दर्द पढ़ कर आयी थी । मेरी मानस पुत्री है। तीन महीने बाद और फिर भी जान न पाई ।
बहुत सुंदर सृजन
बेटियों के उदास चेहरे
अच्छे नहीं लगते
माँ के कलेजे में हूक उठती है।
फिर भी
वो खामोशी से सह जाती हैं
पूछने पर
"कुछ नहीं माँ बेकार परेशान रहती हो।
बस थोड़ी सी थकान है।"
वो माँ जो पढ़ लेती है
चेहरे के भाव को
इन दलीलों से संतुष्ट नहीं होती।
बहुत ही सुंदर रचना , माँ बेटी का संबंध ममता की डोर से बंधा होता है ,दोनों एक दूसरे को दुखी नही देख सकती ,
आह बेटियां नहीं कह पातीं कई बार मन की बात .......बखूबी भावों को उकेरा है
पढ़कर मन भावुक हो गया। माँ और बेटी एक ही परिस्थिति से गुज़री होती है, कौन किससे क्या बोले।
सबका आभार !
सुन्दर भाव....
कविता में पिरोया बदलते जीवन का सत्य.
बधाई.
ठिठक जाते थे पैर
अब तो गुनगुनाना भी भूल गई ।
जब रखती पाँव मंच पर
रौनक बिखर जाती थी और
एक एक शब्द चुन कर बनाती थी वो प्रवाह
घोलती रस कानों में
मोह लेती थी मन ।
आज खुद को बंद कर एक कमरे में
माँ से भी मुखर नहीं होती ।
गर मुखर होती तो
वो उदास नजरें अपना मुँह न चुराती ।
वो खामोशी एक माँ को रुलाती ।.. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय दीदी.
सादर
चर्चा मंच का लिंक खुल नहीं रहा है। हर बार जाना चाहती हूँ ।
Send Valentines Day Gifts Online
Best Valentines Day Roses Online
Best Valentines Day Gifts Online
Send Teddy Day Gifts Online
एक टिप्पणी भेजें