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सोमवार, 4 मार्च 2013

हाईकू !

शपथ ले लो 
संघर्ष बंद न हो 
न्याय लेना है. 
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दृढ निश्चय 
मजबूत इरादे 
नारी ही होगी ।
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ज्योति दिए की 
अंधकार चीरेगी 
जग जागेगा .
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बोये तो कांटे 
उगे  न फूल तो है 
दोषी धरती?
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संस्कार दें 
अपने आँचल में 
युग बदलें .
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कोख नारी की 
शिक्षा दबंगों की हो 
दोषी कौन है? 
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9 टिप्‍पणियां:

vandan gupta ने कहा…

बोये तो कांटे
उगे न फूल तो है
दोषी धरती?

शानदार हाइकू

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर हाइकू!

travel ufo ने कहा…

badhiya hikoo

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

दुखती रग!
उँगली रख दी ठीक किया,
समय लगेगा!

Asha Lata Saxena ने कहा…

दुखती राग ------
बढ़िया हाइकू |

Rajendra kumar ने कहा…

bahut hi sarthak haikoo.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बेहतरीन हाइकु

kuldeep thakur ने कहा…

आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 8 मार्च की नई पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...
आप भी इस हलचल में आकर इस की शोभा पढ़ाएं।
भूलना मत

htp://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com
इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है।

सूचनार्थ।

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

सुन्दर हाइकु.