निरंकुश वे 
छटपटाते हम 
हल कहाँ है?
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फांसी का फन्दा 
एक की गर्दन में 
बाकी को तो दें । 
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 गोद में कन्या 
दरवाजे बंद हैं 
जाए वो कहाँ? 
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घरेलू हिंसा 
हर घर में जिन्दा 
चीख सुनें तो .
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आधी आबादी 
आज भी आधी जिए 
पूरी  न होगी   .
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अहंकार है 
फिर विद्वता कहाँ? 
सोचो तो जरा.  
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 माथे चन्दन 
गले में धारे हार 
पंडित बने .
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10 टिप्पणियां:
अहंकार है
फिर विद्वता कहाँ?
सोचो तो जरा.
बहुत ही बढिया हाईकू ... सभी एक से बढ़कर एक
सभी अपने आप मे बेहतरीन।
बहुत बढ़िया .... सामाजिक सरोकार से जुड़े हुये सभी हाइकु बेहतरीन
बहुत बढ़िया हाइकू!
इनकी धार बहुत पैनी है!
सभी हाइकु एक से बढ़कर एक बधाई आपको
दिखा रहे दर्पण
भले अनजान बने
फेरे रहो नयन .
बहुत ही बेहतरीन हाईकू.......
कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने |
घरेलू हिंसा
हर घर में जिन्दा
चीख सुनें तो
बेहतरीन हाईकू
बहुत सटीक हाइकु
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