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शुक्रवार, 3 जून 2022

मैं क्या हूँ?

 मैं भाव हूँ

उमड़ता हूँ तो छा जाता हूँ

काले बादलों सा,

बरसता हूँ तो भी छा जाता हूँ

कागजों पर स्याही के संग

कलम पर सवार होकर 

देखा होगा आपने?


पीड़ा भी हूँ,

और उल्लास भी

रुदन हूँ औ' हास भी,

अपना भी हूँ औ' दूसरे की भी

बस अपना समझ जिया उसको,

गरल बन पिया उसको,

जीवन में कुछ नया कर गया,

देखा होगा आपने?


मैं शब्द हूँ,

उमड़ता हूँ दिमाग में

कभी कल्पना से,

कभी साक्षी बनने से

कभी तो भोक्ता भी होता हूँ,

ढल जाता हूँ - 

कभी कविता में,

कभी कहानी में

उतर कर कागजों पर रच जाता हूँ।

देखा होगा आपने?


बस इसीलिए तो हर रूप में स्वीकृति हूँ,

पीड़ा, भाव और शब्दों की अनुकृति हूँ।

14 टिप्‍पणियां:

विश्वमोहन ने कहा…

बहुत सुंदर!!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वाह , भाव --- कभी है कभी त्रास लाजवाब लिखा है आपने ।

अनीता सैनी ने कहा…


जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(४-०६-२०२२ ) को
'आइस पाइस'(चर्चा अंक- ४४५१)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

Meena Bhardwaj ने कहा…

बेहतरीन सृजन ।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुन्दर लेखन दी

मन की वीणा ने कहा…

गहन भाव लिए सुंदर रचना।

yashoda Agrawal ने कहा…

बेहतरीन
सादर
आभार..

Sudha Devrani ने कहा…

पीड़ा भी हूँ,

और उल्लास भी

रुदन हूँ औ' हास भी,

वाह!!!
क्या बात...
बहुत ही लाजवाब ।

Sweta sinha ने कहा…

बेहद भावपूर्ण सुंदर रचना।
सादर।

Amrita Tanmay ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति।

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर

उषा किरण ने कहा…

बहुत खूब👌👌

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

आप संभी का आभार , मेरी रचना तक आने के लिए।