कभी कुछ मन नहीं करता है और कलम उतावली होती है पेज रंगने को क्योंकि उसमें तो भाव भरे होते हें फिर ऐसे ही रच जाती है कुछ हाईकू । पहली बार लिखा है सो क्षमा याचना के साथ।
ईमान बेचा
खरीदार तो होगा
पाक साफ है.
* * *
अपने छूटे
सारे भ्रम ही टूटे
अकेले अब .
***
दर्द छलका
आँखें बोल रही थी
खामोश जुबां.
***
दुर्जन कौन
सफेद कपड़ों में
काले मन का.
***
धरा उदास
आसमान से झाँका
सुनसान था।
***
दीप जलाया
रोशनी फैलेगी तो
बाती रो पड़ी।
***
ईमान बेचा
खरीदार तो होगा
पाक साफ है.
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अपने छूटे
सारे भ्रम ही टूटे
अकेले अब .
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दर्द छलका
आँखें बोल रही थी
खामोश जुबां.
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दुर्जन कौन
सफेद कपड़ों में
काले मन का.
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धरा उदास
आसमान से झाँका
सुनसान था।
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दीप जलाया
रोशनी फैलेगी तो
बाती रो पड़ी।
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11 टिप्पणियां:
दर्द छलका
आँखें बोल रही थी
खामोश जुबां.
***
दुर्जन कौन
सफेद कपड़ों में
काले मन का.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
यह कदम भी शानदार
bahut sundar haaiku shilp aur kathya ki kasauti par khare utarte.
आंटी!
बहुत अच्छे लगे आपके हाइकु।
सादर
वाह!!!
kalamdaan
isa vidha men abhi abhi chalana seekha hai.
aap sabhi ko dhanyavad !
बहुत खूब ॥सभी हाइकु शानदार
दुर्जन कौन
सफेद कपड़ों में
काले मन का.
इस विधा का कमाल यही है कि कम शब्दों में बहुत गहरी बात कह सकने की कला विकसित होती है।
सभी हाइकू शानदार हैं। सुन्दर प्रस्तुति।
कम शब्दों में गहरी बात।
हाइकू करते हैं मन पर सीधा असर!
वाह जी!
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