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बुधवार, 23 मार्च 2011

२३ मार्च शहीदों को नमन !

मुझे लिखते देख मेरी सहेली रही - क्या कर रही हो ? उसे बताया कि आज शहीद दिवस है कुछ लिखना चाह रही हूँ। तुरंत वह बोली - साल में वही दिन तो आते हैं और तुम हर बार वही लिख कर डालती रहती हो। इससे क्या फायदा? कुछ नया हो तो लिखो, मुझे मजा नहीं आता मैं उसे कैसे समझाती कि मैं जो लिख रही हूँ वह एक जरूरी चीज है लेकिन गद्य भूल कर लिख बैठी ये पंक्तियाँ --

इतिहास बदला नहीं करता है,
वे तारीखें जो लिखी हैं इसमें,
उनकी इबारत पत्थर पर लिखी है ,
' उस पत्थर पर हमारी
आज़ादी कि इमारत खड़ी है
हम दुहराते हैं उन तारीखों को जरूर
जिन्हें इतिहास में मील के पत्थर भी कहा करते हैं,
घटनाएँ कुछ ऐसी घट जाती हैं,
जो तारीखों का वजन बढ़ा देती हैं।
इतिहास के पन्नों पर वे ही दिन
मजबूर कर देते हैं मानव और मानस को
फिर एक बार उस इबारत को दुहरा लें
शहीद वही, शहादत वही, इतिहास भी वही,
लेकिन इस तारीख के जिक्र पर,
सर झुक ही जाता है इज्जत से
क्योंकि
हमारा जमीर इनको याद करते ही
मजबूर कर देता है नमन करने को
मजबूर कर देता है नमन करने को

मेरी आज २३ मार्च को उनके बलिदान दिवस पर अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि।

12 टिप्‍पणियां:

ashish ने कहा…

शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले , वतन पर मरने वालों यही बाकी निशां होगा ,

शुक्रिया भारत माता के इन महान सपूतों की याद में शीश झुकाने को याद दिलाने के लिए .

संजय भास्‍कर ने कहा…

शुक्रिया महान सपूतों की याद दिलाने के लिए .

संजय भास्‍कर ने कहा…

रंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

"हमारा जमीर इनको याद करते ही
मजबूर कर देता है नमन करने को।"

आपने बिलकुल सही लिखा है लेकिन अफ़सोस यह जानकर होता है कि आज का युवा इन शहीदों के नाम तक ठीक से नहीं जानता.

उन वीर शहीदों की अमर कुर्बानी को शत शत नमन

सादर
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आज की सोच

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

achchha laga di...apne un sapooton ko yaad kiya...jinhone hame ajaadi dilayee!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हमारा जमीर इनको याद करते ही
मजबूर कर देता है नमन करने को।
aur kahne ko ki mera rang de basanti chola .... ek baar is raah me marna sau janmon ke samaan hai

राजेश उत्‍साही ने कहा…

अपनी सहेली से यह भी कहें कि आप जो लिखती हैं वो मजे के लिए नहीं होता,विमर्श के लिए होता है।
*

इसीलिए कहा गया है कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले.... हम हों न हों,उनकी याद हमेशा रहेगी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हमारा जमीर इनको याद करते ही
मजबूर कर देता है नमन करने को।
मजबूर कर देता है नमन करने को।

इतिहास पर ही वर्तमान खड़ा होता है ... बहुत अच्छी प्रस्तुति

shikha varshney ने कहा…

गद्य से ज्यादा प्रभावशाली हैं ये पंक्तियाँ रेखा जी !
शहीदों को शत शत नमन.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सही है. साल में एक बार ही तो हम याद करते हैं, लेकिन नयी पीढी? बहुत ज़रूरी है उसे भी याद दि्लाते रहना. नमन.

मनोज कुमार ने कहा…

भारत माता के इन महान सपूतों को शत-शत नमन!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

वीर शहीदों को शत शत नमन