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सोमवार, 17 जनवरी 2011

मानव और मानवता

मानव औ' मानवता
सिर्फ भाषण में अच्छे लगते हैं.
या फिर  किताबों की नीति कथा के
उपदेशों में ही सोहते हैं.
अखबारों की सुर्ख़ियों तक
सीमित अच्छे होते हैं.
मैं देखा है -
मानवता के पुजारियों को
दया और करुणा की मूर्तियों को
जहाँ जरूरत होती
प्राण - पण से लगते देखा है.
दूसरे के दर्द को
अपना समझ कर हरते  देखा है.
लोगों को उनका
फायदा उठाते देखा है.
क्या फर्क पड़ता है?
काम निकाल कर
दो शब्द 'वाह वाह ' कह देने में.
ऐसा लोगों को कहते देखा है.
ऐसा नहीं इंसान वह भी है,
अपेक्षा तो नहीं की ,
फिर भी
जब खुद वक्त की चपेट में आया
हौसला तो नहीं खोया था
अकेले ही उसने
अपने का शव ढोया था.
कोई नहीं आया उनमें से
वक्त भी निकल गया.
जिसने फिर कहीं देखा उसको
'यार सुना तो था , पर बहुत बिजी' था.'
'मुझे खबर बाद में मिली.'
'बाहर था कैसे आता?'
'मैं बीमार था आ नहीं सकता था.'
कोई बात नहीं
अब तो वक्त गुजर गया
बस जेहन में
एक सवाल ठहर गया -
लोग मानव को बेवकूफ समझ कर
फायदा उठाते हैं.
मानवता की छाया में बैठ कर
लोग धूप से बच सकते हैं,
किन्तु इस छायादाता को
कोई छाया नहीं मिलती है.
कौन सी छत मिलेगी?
इससे बड़ा मानव नहीं
तो मानवता किससे चाहेंगे ?
बस कहने की बाते हैं
भला करो भला होता है,
अच्छा करो अच्छा मिलता है.
पर यहाँ तो
करने वाला ही सब कुछ खोता है
बाकी जग चैन से सोता है.
अब जरूरत है कि
इन दोनों शब्दों को
फिर से परिभाषित किया जाए,
मानव और मानवता को
मानव के जीवन के
शब्दकोष से
हमेशा के लिए मिटा दिया जाए.

शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

खोया अतीत !

हम साथ ही चले थे,
रहना भी साथ ही था,
मगर 
वक्त की बेरहम आंधी 
कहाँ से कहाँ ले गयी?
हम फिर चल दिए 
नए रास्ते पर 
जो नियति ने हमें दिए थे.
हम बेखबर हो गए,
तुम हमसे औ'
हम तुमसे 
पता नहीं कैसी नियति थी?
एक मुकाम पर
फिर मिले हम
आँखें झपकाकर बार बार
देखा था - एक दूसरे को 
एक युग के अन्तराल ने 
सब कुछ बदल दिया था.
जब देखा एक दूसरे को
आँखें डबडबा आयीं.
शायद ये आत्माओं का अहसास था.
समझ गए हम दोनों,
दोस्त तुम वही हो
जिसको हमने खोया था.
आँखें पोछी, हाथ हिलाए
और चल दिए अपने रास्तों पर.
एक सुकून सिर्फ देखने का
पता नहीं कितनी शांति दे गया.
सकुशल तो हो
सब कुछ बदल गया
बस याद कहीं शेष थी अंतर में.
होंठ मुस्करा दिए,
सलामत रहो
ये दुआ है हमारी,
मिलेंगे फिर कभी
इसी तरह राहों में
क्योंकि जिन्दगी के रास्ते 
मुस्तकिल नहीं होते.
ठिकाने भले दूर हों
इरादे  मुश्किल नहीं होते.