सिर्फ एक सांस का फासला होता है
जुड़ी रही तो जीवन
नहीं तो टूटते ही
जिन्दगी तस्वीर में सिमट जाती है।
टूटते ही सांसों के क्रम के
सब पञ्च तत्वों में बिखर जाता है,
हम लिए उस पार्थिव को
कभी थे/थी के साथ
अपनों से जुड़े रहते हें।
चढ़ जाती है माला
औ' दिया जल जाता है,
जिन्दगी का यूँ सफर ख़त्म
हमें तो सिर्फ गम ही दे जाता है।
ये सिर्फ सांसों के रिश्ते हें
सांसों का नाता है,
जुड़ी रही तो जीवन
नहीं तो टूटते ही
जिन्दगी तस्वीर में सिमट जाती है।
टूटते ही सांसों के क्रम के
सब पञ्च तत्वों में बिखर जाता है,
हम लिए उस पार्थिव को
कभी थे/थी के साथ
अपनों से जुड़े रहते हें।
चढ़ जाती है माला
औ' दिया जल जाता है,
जिन्दगी का यूँ सफर ख़त्म
हमें तो सिर्फ गम ही दे जाता है।
ये सिर्फ सांसों के रिश्ते हें
सांसों का नाता है,
फिर किस से कहें
कौन कब आता है और कब जाता है?
कौन कब आता है और कब जाता है?