माँ !
माँ
एक भाव ,
एक चरित्र में समाया
वो अहसास है
जो उम्र , लिंग या रिश्ते का मुहताज़ नहीं होता ।
ये जन्म से नहीं ,
हृदय से जुड़ा हुआ
वो भाव है ,
जो
हर किसी को नहीं मिलता ।
जन्म देकर भी कोई माँ नहीं बन पाती है,
और कोई
बिना जन्म दिये माँ बनकर
निर्जीव से शरीर में प्राण डाल देती है ।
वो बहन, भाई , या कोई अजनबी हो
अगर ममता से भरा वह दिल
छूटी हुई डोर थाम कर
प्राण फूँक देता है,
तो
ममत्व इस दुनिया में सबसे महान हैं
और
माँ तो
सबसे परे
ईश्वर के समकक्ष रखी जाती है ।