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जीवन में बिखरे धूप के टुकड़े और बादल कि छाँव के तले खुली और बंद आँखों से बहुत कुछ देखा , अंतर के पटल पर कुछ अंकित हो गया और फिर वही शब्दों में ढल कर कागज़ के पन्नों पर. हर शब्द भोगे हुए यथार्थ कीकहानी का अंश है फिर वह अपना , उनका और सबका ही यथार्थ एक कविता में रच बस गया.
9 टिप्पणियां:
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं
आपको और आपके परिवार को प्रकाश पर्व की शुभकामनाये ..
बहुत सुन्दर रचना।
हमने हर इक रात काटी गीत गाकर
जिन्दगी की पीर पी है मुस्कराकर
आईये उत्सव ये दीपों का मनायें
तिमिर में इक दीप आशा का जलाकर।
और इस दीप पर एक ग़़ज़ल दिनांक 4 नवम्बर को 'रास्ते की धूल' पर पढ़ना न भूलें।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
राजभाषा हिंदी पर कविताओं में बिंब और उनसे जुड़ी संवेदना
मनोज पर देसिल बयना –बाघ के घर की बिल्ली भी तेज़.
आपको और आपके परिवार को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
rekha di aur unke pariwar ko dipawali ki bahut bahut subhkamnayen..........:)
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ....
आपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
देर से ही सही ...बहुत बहुत शुभकामनाएँ
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