जीवन में बिखरे धूप के टुकड़े और बादल कि छाँव के तले खुली और बंद आँखों से बहुत कुछ देखा , अंतर के पटल पर कुछ अंकित हो गया और फिर वही शब्दों में ढल कर कागज़ के पन्नों पर. हर शब्द भोगे हुए यथार्थ कीकहानी का अंश है फिर वह अपना , उनका और सबका ही यथार्थ एक कविता में रच बस गया.
बुधवार, 3 नवंबर 2010
सुंदर दीपों से रोशन हो, हर कोना सबके घर का. लक्ष्मी करें कृपा सभी पर, ढेर रहे घर में धन का, मन में सुख शांति हो, हर प्रात हो सबके मन का, हर दिन हो दीवाली जैसा सुन्दर सबके इस जीवन का. दीपावली पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.!
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को प्रकाश पर्व की शुभकामनाये ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंहमने हर इक रात काटी गीत गाकर
जिन्दगी की पीर पी है मुस्कराकर
आईये उत्सव ये दीपों का मनायें
तिमिर में इक दीप आशा का जलाकर।
और इस दीप पर एक ग़़ज़ल दिनांक 4 नवम्बर को 'रास्ते की धूल' पर पढ़ना न भूलें।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
जवाब देंहटाएंचिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
राजभाषा हिंदी पर कविताओं में बिंब और उनसे जुड़ी संवेदना
मनोज पर देसिल बयना –बाघ के घर की बिल्ली भी तेज़.
आपको और आपके परिवार को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
जवाब देंहटाएंrekha di aur unke pariwar ko dipawali ki bahut bahut subhkamnayen..........:)
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ....
जवाब देंहटाएंआपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंदेर से ही सही ...बहुत बहुत शुभकामनाएँ
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