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जीवन में बिखरे धूप के टुकड़े और बादल कि छाँव के तले खुली और बंद आँखों से बहुत कुछ देखा , अंतर के पटल पर कुछ अंकित हो गया और फिर वही शब्दों में ढल कर कागज़ के पन्नों पर. हर शब्द भोगे हुए यथार्थ कीकहानी का अंश है फिर वह अपना , उनका और सबका ही यथार्थ एक कविता में रच बस गया.
बुधवार, 13 नवंबर 2024
शनिवार, 2 नवंबर 2024
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
मंगलवार, 3 सितंबर 2024
सोमवार, 19 अगस्त 2024