वो पल मेरे थे,
जिए भी मैंने ही
लेकिन
वो समर्पित थे
किसी अनजान के लिए
कोई रिश्ता नहीं था
बस इंसानियत का रिश्ता
देखते रहने का रिश्ता
फिर उसकी मौत का अहसास
हिला ही तो गया
उस हादसे का शिकार देख
अंतर तक काँप गया।
तप करने लगी
विनती ईश्वर से
वापस कर दो
वो किसी घर का चिराग है
किसी माँ का लाल
औ
किसी के मुंह का निवाला है
किसी का भाई भी होगा
उसे जीवन दो प्रभु
चाहे कुछ दिन मेरे जीवन से
लेकर उसको दे देना।
उसे जीवन दे देना।
उसे जीवन दे देना।
जिए भी मैंने ही
लेकिन
वो समर्पित थे
किसी अनजान के लिए
कोई रिश्ता नहीं था
बस इंसानियत का रिश्ता
देखते रहने का रिश्ता
फिर उसकी मौत का अहसास
हिला ही तो गया
उस हादसे का शिकार देख
अंतर तक काँप गया।
तप करने लगी
विनती ईश्वर से
वापस कर दो
वो किसी घर का चिराग है
किसी माँ का लाल
औ
किसी के मुंह का निवाला है
किसी का भाई भी होगा
उसे जीवन दो प्रभु
चाहे कुछ दिन मेरे जीवन से
लेकर उसको दे देना।
उसे जीवन दे देना।
उसे जीवन दे देना।
14 टिप्पणियां:
बहुत प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
हम भी इस प्रार्थना में शामिल है..
ओह ...दुखद ...एक प्रार्थना उस ईश्वर से
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (29-07-2012 के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आप सभी को धन्यवाद ! ये निःस्वार्थ प्रार्थना ईश्वर स्वीकार जरूर करता है.
--
मार्मिक .... हम भी शामिल हैं प्रार्थना में ॰
आमीन !
आपकी प्रार्थना में साथ...
आमीन.
ओह ………बेहद मार्मिक ………हम भी शामिल
ऐसा निःस्वार्थ प्रेम बहुत कम देखने को मिलता है बहुत उन्नत भाव संजोये हैं रचना में रेखा जी आपको ह्रदय तारों का स्पंदन में भी पढ़ा बहुत पसंद आई आपकी रचनाएं बहुत बधाई
किसी और के किसी के लिये
आज कौन व्याकुल होता है
आप हो रही हैं खुदा जानता है
जरूर कुछ तो सोचेगा
और करेगा भी कुछ ना कुछ
उसके लिये जो किसी
का बहुत कुछ है !
Rajesh Kumari ने आपकी पोस्ट " वो पल ! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
ऐसा निःस्वार्थ प्रेम बहुत कम देखने को मिलता है बहुत उन्नत भाव संजोये हैं रचना में रेखा जी आपको ह्रदय तारों का स्पंदन में भी पढ़ा बहुत पसंद आई आपकी रचनाएं बहुत बधाई
आपकी इस प्रार्थना में हम शामिल हैं ...
please take my good wishes also
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