**** मन बड़ा विच्छिन्न घट रही अमानुषिक घटनाओं से , ये कुछ हाइकू उसी विक्षोभ का प्रतिफल हैं.
खिलौना नहीं
धधकती आग है
जल जाओगे।
*********
मत सताओ
कहीं सब्र न टूटे
विस्फोट न हो।
*********
अरे मानव
कुछ तो ऐसा करो
अमन रहे।
*********
जब मौन हों
भीष्म जैसे ज्ञानी भी
न्याय कैसे हो?
*********
रावण नहीं
दुशासन है अब
मर्यादा कहाँ ?
*********
सखी तुम्हारी
सिसक रही जो है
किसना आओ .
*********
अंतरिक्ष में
जो बेटी गयी है वो
औरों जैसी है।
*********
अपराध है
बेटियों का सौदा
फाँसी दी जाय .
********
बस भी करो
कहीं विवश न हों
नाश के लिए .
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खिलौना नहीं
धधकती आग है
जल जाओगे।
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मत सताओ
कहीं सब्र न टूटे
विस्फोट न हो।
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अरे मानव
कुछ तो ऐसा करो
अमन रहे।
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जब मौन हों
भीष्म जैसे ज्ञानी भी
न्याय कैसे हो?
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रावण नहीं
दुशासन है अब
मर्यादा कहाँ ?
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सखी तुम्हारी
सिसक रही जो है
किसना आओ .
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अंतरिक्ष में
जो बेटी गयी है वो
औरों जैसी है।
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अपराध है
बेटियों का सौदा
फाँसी दी जाय .
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बस भी करो
कहीं विवश न हों
नाश के लिए .
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5 टिप्पणियां:
अंतरिक्ष में
जो बेटी गयी है वो
औरों जैसी है।
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अपराध है
बेटियों का सौदा
फाँसी दी जाय .
********
बस भी करो
कहीं विवश न हों
नाश के लिए .
सभी एक से बढ़कर एक हाइकू ... बेहद सशक्त भाव लिए ...आभार
सभी हाइकू मन की पीडा को व्यक्त कर रहे हैं।
दुशासन है तो मर्यादा कहा ...इससे तो रावण ही भला !
ज्ञानी मौन हो तो अन्याय का राज होना ही है !
आज के हालातों की सफल बयानी कर पाये...
जब मौन हों
भीष्म जैसे ज्ञानी भी
न्याय कैसे हो?
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अपराध है
बेटियों का सौदा
फाँसी दी जाय .
********वैसे तो सभी हाइकु बहुत अच्छे हैं ये दो तो जबरदस्त हैं बधाई आपको
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