आशा का दीप
जलने जा रहा है
प्रतीक्षा करो
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मशाल जली
दो हाथों से थाम लो
सफल होगे।
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उदास गीत
सिसकती ग़ज़ल
क्या गायें हम ?
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मनन कर
मौन आत्मा से माँग
अच्छा मिलेगा।
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देवता क्यों
इंसान ही रहो न
बहुत होगा।
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जननी होना
अभिशाप बना है
सड़क मिली।
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पत्नी रहते
छत होती ऊपर
अपना घर।
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माँ बन कर
अभिशप्त हो गयी
घर न द्वार .
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विश्वास टूटा
बिखर गए हम
अकेले अब
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8 टिप्पणियां:
जननी होना
अभिशाप बना है
सड़क मिली।
सच्चाइयों को उकेरती हाइकू।
बेबाकी से सच बयान करते हाइकू ...
लाजवाब ...
उदास गीत
सिसकती ग़ज़ल
क्या गायें हम ?
जननी होना
अभिशाप बना है
सड़क मिली।
हमेशा की तरह भावमय करती पंक्तियां ... आभार
बहुत सुन्दर और अर्थपूर्ण हायकू..
सादर
अनु
आज 26/07/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
रेखा जी कमाल के हाइकू लिखे हैं आपने ...!!
बहुत सुंदर भाव संयोजन भी ......!!
बहुत बढ़िया जी .....
शानदार हाइकू हैं दीदी...
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