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गुरुवार, 12 सितंबर 2019

मौत !

मौत !

वो इतनी करीब खड़ी है ,
नहीं देख पाते हैं अपने ,
जिंदगी की उम्मीद में
जलाये आशा का दिया
झंझावातों से बचाने को
आस्था की ओट लगाये बैठे है ।
जिसे वह दिख रही है ,
शायद श्वान नेत्रों से
चुपचाप खड़े हैं,
"चिंता मत करो, सब ठीक हो जायेगा।"
दिलासा की एक मोमबत्ती पकड़ा कर
एक एक कर चलने लगते हैं ।
वह खुद उहापोह में
समझ नहीं पाता है कि
क्या चल रहा है ?
कल होगा या नहीं ,
सोचने में परेशान है
क्योंकि जिंदगी ने अपना तंबू
समेटना शुरू कर दिया है ।