तू मार उसे
मैं ठेका देता हूँ
सफेदपोश .
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दलित बेटी
सौ करोड़ का घर
क्या कहने?
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टूटा दिया हो
न रिश्ता हो तेल
रोशनी होगी .
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कोल्हु का बैल
मुंह पर मुसका
बोले क्या खाएं?
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ये सियासत
सब कुछ मेरा है
तू ठग गया।
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भ्रूण हत्या की
साजिश हमारी है
सृष्टि का अंत।
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गीत ग़ज़ल
दर्द बयां करते
वे खामोश हैं।
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5 टिप्पणियां:
क्या बात है...हाईकुओं में पूरी बात कह दी...वाह्ज जी
सभी हाइकू सार्थक
गहन भाव ...सुंदर प्रस्तुति
भ्रूण हत्या की
साजिश हमारी है
सृष्टि का अंत ...
सच कहा है ये श्रृष्टि का अंत ही है ... कुछ शब्दों में बहुत लंबी बात ...
इस नई विधा को अपनाने का नया नया प्रयास है, आप सबको पसंद आया इसके लिए हार्दिक धन्यवाद !
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