माँ तुम्हें नमन
आज देखती हूँ
तेरे चहरे पर आई झुर्रियां
एक एक झुर्री तेरे संघर्ष की
कहानी कह रही है,
और इस कहानी से
वे नावाकिफ तो नहीं है.
कहानी कह रही है,
और इस कहानी से
वे नावाकिफ तो नहीं है.
कौन पूछता है माँ
तुमसे
कैसी है और क्या है हाल तेरा ?
तुम करती रही खुद को कुर्बान ,
उन्हें बना सको एक अच्छा इंसान .
तुमने उनको जन्मा औ' पाला
वे तुम्हें न समझ पाए .
आज तुम्हें गले लगाना
या तोहफा देने की याद नहीं होगी,
क्योंकि
ये दिन उनकी पत्नी या बच्चे का
ये दिन उनकी पत्नी या बच्चे का
जन्मदिन तो नहीं है।
हो सकता है कोई माँ
वृद्धाश्रम में बैठी हो,
डबडबाई आँखों से
राह देख रही हो
लाडले की।
फिर रात होते ही
मुंह छिपाकर
बहते आंसुओं को
बाहर गिरने नहीं देती
उतार लेगी गले के नीचे .
न दिन रहा
न दिल रहा
न प्यार रहा
माँ तू
कालातीत हुई .
6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर...मातृ दिवस की शुभकामनाएँ!
आपकी बात ने दिल पे क्या असर किया है , बता नहीं सकता.
उफ़ कैसी सच्चाई बयाँ कर दी
माँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
कितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?
सबसे पहले माँ को नमन
मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनायें....!!
नमन ....मातृ दिवस की शुभकामनाएँ!
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