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सोमवार, 27 अप्रैल 2020

हाइकु

दिन में रात
आँधी औ बरसात
माह कौन रे।
***
दहशत में
जीवन हैं हमारे
कोरोना मारे ।
***
बंद घर में
साँस भी घुटती है
जाँ अधर में।
***
वो दिखते है
एक रोबोट जैसे
बचाये कैसे ?
***
दीप जलाये
बैठी है उसकी माँ
साँसत में जाँ।
***
वो कर्मवीर
खड़े हैं सीना तान
बचा लें जान।
***

15 टिप्‍पणियां:

राजीव तनेजा ने कहा…

बढ़िया

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

सुंदर और सारगर्भित।

Udan Tashtari ने कहा…

उम्दा

अजय कुमार झा ने कहा…

सारी पंक्तियां बेहद प्रभावित करने वाली हैं दीदी अगर मैं गलत नहीं हूं तो लेखन की इस कला को हाय को कहते हैं शायद

Kishor se milen ने कहा…

वाह, सुंदर। बधाई आदरणीया

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी हाइकु बहुत भावपूर्ण.

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar ने कहा…

कहे हाइकु
अभी यहाँ आपने
मन भाये हैं

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

नहीं हाइकु ही कहते हैं ।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

आभार ब्लॉग पर आने के लिए ।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

आभार पंसंद करने के लिए।

Shah Nawaz ने कहा…

वाआआह बहुत खूब...

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

बुजुर्गवार का आशीष चाहिए ।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

आभार !

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

उत्तर सही जगह नहीं आ रहे ।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

उत्तर सही जगह नहीं आ रहे ।