दिन में रात
आँधी औ बरसात
माह कौन रे।
***
दहशत में
जीवन हैं हमारे
कोरोना मारे ।
***
बंद घर में
साँस भी घुटती है
जाँ अधर में।
***
वो दिखते है
एक रोबोट जैसे
बचाये कैसे ?
***
दीप जलाये
बैठी है उसकी माँ
साँसत में जाँ।
***
वो कर्मवीर
खड़े हैं सीना तान
बचा लें जान।
***
आँधी औ बरसात
माह कौन रे।
***
दहशत में
जीवन हैं हमारे
कोरोना मारे ।
***
बंद घर में
साँस भी घुटती है
जाँ अधर में।
***
वो दिखते है
एक रोबोट जैसे
बचाये कैसे ?
***
दीप जलाये
बैठी है उसकी माँ
साँसत में जाँ।
***
वो कर्मवीर
खड़े हैं सीना तान
बचा लें जान।
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15 टिप्पणियां:
बढ़िया
सुंदर और सारगर्भित।
उम्दा
सारी पंक्तियां बेहद प्रभावित करने वाली हैं दीदी अगर मैं गलत नहीं हूं तो लेखन की इस कला को हाय को कहते हैं शायद
वाह, सुंदर। बधाई आदरणीया
सभी हाइकु बहुत भावपूर्ण.
कहे हाइकु
अभी यहाँ आपने
मन भाये हैं
नहीं हाइकु ही कहते हैं ।
आभार ब्लॉग पर आने के लिए ।
आभार पंसंद करने के लिए।
वाआआह बहुत खूब...
बुजुर्गवार का आशीष चाहिए ।
आभार !
उत्तर सही जगह नहीं आ रहे ।
उत्तर सही जगह नहीं आ रहे ।
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