माँ मेरी तुम
ममता का आँचल
छाँव घनी हो।
****
लोरी तुम्हारी
पीड़ा हरे हमारी
आये निंदियां.
*****
तुमने छोड़ा
अनाथ हुए हम
पीड़ा भरी है।
*****
कभी तो आओ
सपने में ही सही
प्यार करने।
*****
ममता का आँचल
छाँव घनी हो।
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लोरी तुम्हारी
पीड़ा हरे हमारी
आये निंदियां.
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तुमने छोड़ा
अनाथ हुए हम
पीड़ा भरी है।
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कभी तो आओ
सपने में ही सही
प्यार करने।
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3 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-05-2015) को "सिर्फ माँ ही...." {चर्चा अंक - 1971} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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भावपूर्ण हाइकु
बहुत सुन्दर और प्रभावी हाइकु...
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