रोज पढ़ती हूँ कि मौत ने घर चिराग बुझा दिया , कोई लहरों में समां गया , कितनों की मांग सूनी हो गयी , असाध्य रोग से परेशान ने मौत को गले लगाया . किसी ट्रक ने किसी को कुचल कर बच्चों के मुंह से निवाला छीन लिया और न जाने क्या क्या ? बस ये शब्द ऐसे परिभाषित हो उठा और हाइकू के रूप में ---
मौत
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मौत किसी की
बरबादी होती है
एक घर की।
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मौत होती है
किसी सुहागन की
उजड़ी मांग।
*******
इसके आते
मुक्ति होगी कष्टों से
राहत देगी।
*******
उसकी मौत
किसी को बोझ से ही
मुक्ति मिलेगी।
*******
अकाल मृत्यु
भटकती आत्मा का
वनवास है।
******
महलों में से
सड़क पर आते
ऐसे भी देखा।
*******
कुछ मुस्कराए
कुछ ने आंसू गिराये
वह तो गया।
*******
श्मशान में ही
विरक्ति बसती है
जीते सभी है।
********
मौत तो है ही
जिन्दगी की मंजिल
पाना है इति।
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मौत
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मौत किसी की
बरबादी होती है
एक घर की।
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मौत होती है
किसी सुहागन की
उजड़ी मांग।
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इसके आते
मुक्ति होगी कष्टों से
राहत देगी।
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उसकी मौत
किसी को बोझ से ही
मुक्ति मिलेगी।
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अकाल मृत्यु
भटकती आत्मा का
वनवास है।
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महलों में से
सड़क पर आते
ऐसे भी देखा।
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कुछ मुस्कराए
कुछ ने आंसू गिराये
वह तो गया।
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श्मशान में ही
विरक्ति बसती है
जीते सभी है।
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मौत तो है ही
जिन्दगी की मंजिल
पाना है इति।
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5 टिप्पणियां:
खुबसूरत अभिवयक्ति..
सुन्दर हाइकू
आभार आदरेया-
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
साझा करने के लिए धन्यवाद।
मौत सत्य है , सब प्रारब्द्ध ही है , फिर क्यों डरें ?
गहन हाइकु ।
गहरी रचना.
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