जोड़ते है
जब रिश्तों को
उसमें खून नहीं
प्यार का सीमेंट चाहिए .
बहुत पुख्ता होते हैं
वे रिश्ते जिन्दगी में
गर उनमें न हो
मिली रेत स्वार्थ की
या मिटटी गर्ज की
वे ताउम्र चलने की
ताकत रखते हैं।
जिन्दगी के झंझावातों से
दरकते नहीं ,
तूफानों में भी
उनकी नींव हिलती नहीं,
जरूरी नहीं
वे जुड़े हों
साथ साथ रहने से
दूर बहुत दूर
जिन्दा वे रहते हैं .
ऐसे रिश्तों की
बस क़द्र कीजिये
न कोई नाम दीजिये
न चस्पा कीजिये
लेबल किसी समूह का।
प्यार ही उसकी
जाति ,धर्म और कर्म
बनाये रखिये।
मिसाल बन याद किये जाते हैं
इंसानों के ही नाम लिए जाते हैं।
जब रिश्तों को
उसमें खून नहीं
प्यार का सीमेंट चाहिए .
बहुत पुख्ता होते हैं
वे रिश्ते जिन्दगी में
गर उनमें न हो
मिली रेत स्वार्थ की
या मिटटी गर्ज की
वे ताउम्र चलने की
ताकत रखते हैं।
जिन्दगी के झंझावातों से
दरकते नहीं ,
तूफानों में भी
उनकी नींव हिलती नहीं,
जरूरी नहीं
वे जुड़े हों
साथ साथ रहने से
दूर बहुत दूर
जिन्दा वे रहते हैं .
ऐसे रिश्तों की
बस क़द्र कीजिये
न कोई नाम दीजिये
न चस्पा कीजिये
लेबल किसी समूह का।
प्यार ही उसकी
जाति ,धर्म और कर्म
बनाये रखिये।
मिसाल बन याद किये जाते हैं
इंसानों के ही नाम लिए जाते हैं।
4 टिप्पणियां:
रिश्ता खून का क्या, पानी का क्या ... विश्वास का सीमेंट हो तो तोड़े से भी ना टूटे
बहुत सुंदर कविता.....
बहुत अच्छी तरह परिभाषित किया है आपने 'रिश्तों के आधार और उनकी स्थिरता को '.
साधु!
मिसाल बन याद किये जाते हैं
इंसानों के ही नाम लिए जाते हैं। वाह!!! बहुत ही सुंदर अनुपम भाव संयोजन...
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