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शनिवार, 19 जनवरी 2013

आजाद ही रहेंगे !

हम आसमान की 
ऊँचाइयाँ छू रहे हैं,
देखा नहीं जाता 
फिर बंदिशों के ताले में 
कैद करने की 
साजिशें रच रहे हो .
ये बंदिशें सिर्फ  
हम पर ही क्यों लगें?
कभी अपने पर 
अंकुश लगाने की सोची ?
नहीं 
आखिर क्यों नहीं?
इतिहास की तरफ 
अंगुली उठा रहे हो 
चाहते हो 
फिर से कैद करके
हमें महफूज़ तुम रखोगे 
महफूज़ हो तुम कहकर 
सेहरा अपने सिर 
बाँधना चाहते हो।
इन बेड़ियों में रहकर 
सितम जो हमने सहे हैं 
उनको अभी भूले नहीं है .
महफूज़ के नाम पर 
गुलामी हमने की है 
दो रोटियों और धोतियों की खातिर 
पूरी जिन्दगी हमने दी है।
चिराग भी दिया है 
खानदान को तुम्हारे 
तुमने क्या दिया था ? 
आजाद हो चुके हैं 
आजाद ही रहेंगे .

 बगावत जो हमने की है 
वो जारी अभी रहेगी।
आजाद ही रहेंगे
महफूज़ भी रहेंगे।
तुम न रख सके 
तो हम दुर्गा बन रहेंगे 
सीता बन जी चुके बहुत 
अब दुर्गा बन जियेंगे 
अब काली बन जियेंगे।  

12 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

बगावत जो हमने की है
वो जारी अभी रहेगी।
आजाद ही रहेंगे
महफूज़ भी रहेंगे।
तुम न रख सके
तो हम दुर्गा बन रहेंगे
सीता बन जी चुके बहुत
अब दुर्गा बन जियेंगे
अब काली बन जियेंगे।

एक ललकारती रचना हुंकार भर रही है……………बहुत खूब

विभूति" ने कहा…

behtreen sarthak rachna....

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति |
आभार आदरेया ||

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत सुंदर क्या बात हैं .....

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

तो हम दुर्गा बन रहेंगे
सीता बन जी चुके बहुत
अब दुर्गा बन जियेंगे
अब काली बन जियेंगे। .......वाह बहुत खूब


अब औरत के इसी काली रूप के लिए जीना होगा

Shalini kaushik ने कहा…

.सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति कलम आज भी उन्हीं की जय बोलेगी ...... आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......

Sadhana Vaid ने कहा…

प्राणदायी संकल्प से झकझोरती ओजपूर्ण रचना रेखा जी ! निश्चित रूप से अब दुर्गा और काली बन कर ही स्वयं को सिद्ध करना होगा ! बहुत खूबसूरत एवं प्रेरक अभिव्यक्ति !

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुंदर

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

न्याय पाने को संघर्ष करना ही होगा!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

नारी की आज़ादी को लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है ... अच्छा लगता है जब नारी खुद पे गर्व करे ओर ऊपर उठने की ठाने ...
उमदा प्रस्तुति ...

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

जब अपनी अस्मिता जाग उठे तो किसी काका साहस नहीं होगा कि अपना खिलौना बना ले !