आज के हाइकू है प्रदूषण पर आधारित ..................
पानी का रंग
काला, पीला या हरा
कौन सा पियें।
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टॉवर खड़े
घर की छतों पर
रईस हुए।
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अपनी नहीं
तो दूसरों की साँसे
गिरवी रखीं।
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तरंगे फैली
तरंगित हृद्गति
खामोश हुई।
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बहरे हुए
तेज ध्वनि खा गयी
कान हमारे .
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ये शहर है
सांस लेना दूभर
विष भरा है.
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तराजू तौल
मौत बेचते हैं वे
पैसे लेकर .
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3 टिप्पणियां:
अपनी नहीं
तो दूसरों की साँसे
गिरवी रखीं।.... जीना जो था
खुद जीना है तो दूसरों को भी जीने दें , लेकिन नहीं सिर्फ हम जियें और दूसरे मरें या जियें.
ओह...गज़ब की अभिव्यक्ति
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