ये दिया
जलाये मकान हूँ,
स्नेह भरा था जीवन का,
ये जीवन दीप भी
अब तक कब तक
जल सकता है ?
अब
आओ सहयोगो तुम,
ये दीप नई पीढ़ी का है।
ये मानवता की माटी से बना,
दया, करुणा की बात है,
विश्व प्रेम का तेल भरा है,
बस इसमें तेल ही भरना है।
ये यूं ही जलता रहेगा,
बस इसके आगे तुम हाथ रखो
अधर्मी अपमान, जेहाद या संत की
तूफ़ान और तूफ़ान से बचाव होगा।
विश्वास यही है
इस दीपक को
जनरेशन दर जनरेशन जलाने वाले
आते रहे हैं और आते रहेंगे।
15 टिप्पणियां:
दीप से दीप जलते रहे यूँ ही ...
श्रेष्ठ कामना !
Ameen ... Ye asha ka deep sada jalta rahe ...
इस दीपक को
पीढ़ी दर पीढ़ी जलाने वाले
आते रहे हें और आते रहेंगे।
.........यही कामना है ये दीप सदा जलते रहे
आशा का दीप जलता रहेगा
एक हाथ से दूजे मे सजता रहेगा
सुन्दर अभिव्यक्ति
उत्तम भाव ..सुन्दर अभिव्यक्ति
पीढ़ी दर पीढ़ी ...यूँ ही विचारों की मशाल जलती रहे ...
अनुपम भाव संयोजन लिये बेहतरीन प्रस्तुति ।
आज के युग में ऐसे दीपक जालाने वाले लोगों की बहुत कमी है मगर उम्मीद पर दुनिया कायम है बस यह दीप पीढ़ी दर पीढ़ी यूँ हीं जला करे ईश्वर से यही कामना है भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति....
सकारात्मक सोच के साथ लिखी गई रचना ..
आशा और उम्मीद की बेहतरीन अभिवयक्ति.....
deep ko jalaye rakhne hetu ye gun jaruri hain us tail me ....varna....
sunder kriti.
आओ संभालो तुम,
ये दीप नई पीढ़ी को है।
सदा से यही हुआ है ..एक पीढ़े ने नव निर्माण का दीप दूसरी पीढ़ी को सौंपा है ..
सुन्दर प्रस्तुति..
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ..
kalamdaan.blogspot.com
Ati sunder!!
बहुत ही खूबसूरती से बात रक्खी है. नयी पीढ़ी से यही सब उम्मीदें हैं. आभार.
tum jaise log hain...
to di...
deep jalte rahenge..:)
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