एक पंडाल में
प्रवचन चल रहा था -
jeevan अर्जन और विसर्जन
दोनों का ह़ी नाम है
यदि अर्जित किया है तो
उसे किसी न किसी रूप में
विसर्जित अवश्य करें.
ड्यूटी में लगा
एक पुलिसवाला -
साला ये कौन सी नई बात है,
मैं जब भी
कमाता हूँ,
गाली दिए बगैर
कोई टेंट ढीली नहीं करता
सो पहले गालियाँ देता हूँ
फिर लेता हूँ.
हो गया हिसाब बराबर
इस हाथ दिया और उस हाथ लिया.
बोलो गुरुदेव की जय !
शनिवार, 10 सितंबर 2011
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7 टिप्पणियां:
Are waah...Kya ghazab ka vyang hai aapki rachna men...Badhai swiikaren
Neeraj
बोलो गुरुदेव की जय !
वाह ! लाज़वाब व्यंग ...
:):) अच्छा दान है ..
बेहतरीन....
बहुत खूब ।
जय हो इन पुलिसयों की
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