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सोमवार, 25 जुलाई 2011

फासले !


फासले नहीं बनते
मीलों और कोसों से
तार मन के
जहाँ जुड़ते हैं
सारे फासले ख़त्म हो जाते हैं।
ये तार ही तो है -
रोते हुए के आँसू,
पोंछते हैं बार बार ,
सिर पर हाथ फिरा कर
दिलासा दे जाते हैं।
दूर क्यों जाएँ?
देखिये न
जहाँ मिलती हैं
दीवार से दीवारें
औ द्वार द्वार जुड़े हैं
फासले मीलों तक पसरे हैं,
मुँह घुमा कर गुजर जाते हैं,
सिसकियों पर मुस्कराते हैं,
ये फासले
होते हैं कितने लम्बे
इंसान के दिलों को तक तोड़ जाते हैं।

18 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kitni khoobsurat baat kahi aapne ...sach ,
फासले नहीं बनते
मीलों और कोसों से
तार मन के
जहाँ जुड़ते हैं
सारे फासले ख़त्म हो जाते हैं।

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

अच्छी कविता,सुन्दर अभिव्यक्ति ....!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सही कहा है फासले खत्म हो जाते हैं जहाँ मन के तार जुडते हैं ... अच्छी प्रस्तुति

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

ये फासले
होते हैं कितने लम्बे
इंसान के दिलों को तक तोड़ जाते हैं।

सही कहा आपने दीदी .....और जब दिल टूटता है तो उसकी आवाज़ नहीं आती

vandana gupta ने कहा…

बिल्कुल सही बात कही आपने आज फ़ासले मीलों से भी ज्यादा बढ गये हैं।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

wah!! behtareen........:)

Minakshi Pant ने कहा…

बहुत खूबसूरत जब एहसास साथ हो तो फासले कोई एहमियत नहीं रखते दोस्त जी बहुत सुन्दर रचना |

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ये फासले
होते हैं कितने लम्बे
इंसान के दिलों को तक तोड़ जाते हैं।
--
जी हाँ दूरियाँ जितनी कम हों उतना ही अच्छा है!

Rajesh Kumari ने कहा…

achchi abhivyakti.faansle khatm ho jaate hain jahan man ke taar judte hain.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 28 - 07- 2011 को यहाँ भी है

नयी पुरानी हल चल में आज- खामोशी भी कह देती है सारी बातें -

अशोक कुमार शुक्ला ने कहा…

Faaslon ki sundar aur satik vyaakhya.
Khubsurat panktiyon ke liye badhai.

Dorothy ने कहा…

फासले नहीं बनते
मीलों और कोसों से
तार मन के
जहाँ जुड़ते हैं
सारे फासले ख़त्म हो जाते हैं।

बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

Anupama Tripathi ने कहा…

gahan aur bahut khubsurat bhav...

mridula pradhan ने कहा…

देखिये न
जहाँ मिलती हैं
दीवार से दीवारें
औ द्वार द्वार जुड़े हैं
फासले मीलों तक पसरे हैं,
faslon par behad bareeki se prahar kar din....achcha laga.

सदा ने कहा…

फासले नहीं बनते
मीलों और कोसों से
तार मन के
जहाँ जुड़ते हैं
सारे फासले ख़त्म हो जाते हैं।
वाह ...यह पंक्तियां मन को छू गई ...बिल्‍कुल सच कहा है आपने ।

Rajiv ने कहा…

दीदी,
सही कहा है आपके कवि मन ने "
फासले नहीं बनते
मीलों और कोसों से
तार मन के
जहाँ जुड़ते हैं
सारे फासले ख़त्म हो जाते हैं।"
बिम्ब की सटीकता ने सब कुछ सामने रख दिया.आपके अनुभव ने इसे जीवंत बना दिया है.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

तार मन के
जहाँ जुड़ते हैं
सारे फासले ख़त्म हो जाते हैं।

शाश्वत तथ्य की खुबसूरत अभिव्यक्ति...
सादर...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sach kaha jahan man ke tar judte hain koso, meelon ke faasle vahi khatam ho jate hain.