राहों में बिछे
काँटों की चुभन
औ'
पैरों से रिसते लहू
से निकली
घावों की पीड़ा,
हौसलों की राह में
रोड़े बन जाती है?
नहीं
हौसले जमीन पर
कब चलने देते हैं,
यही तो
मन के पर बनकर
आकाश में उड़ान
भरते हुए
कहीं और ले जाते हैं।
जहाँ पहुँच कर
छलक पड़ती हैं आँखें
अभावों के पत्थर
विरोध के स्वर
कटाक्षों के तीरों से
आहट अंतर्मन
मंजिल पर पहुँच कर
आखिर रो ही देता है।
लेकिन ये आँसू
औरों को
रुला जाते हैं।
फिर ढेरों
आशीष और
सर पर रखे हाथ
जीत का जश्न मनाते हैं।
काँटों की चुभन
औ'
पैरों से रिसते लहू
से निकली
घावों की पीड़ा,
हौसलों की राह में
रोड़े बन जाती है?
नहीं
हौसले जमीन पर
कब चलने देते हैं,
यही तो
मन के पर बनकर
आकाश में उड़ान
भरते हुए
कहीं और ले जाते हैं।
जहाँ पहुँच कर
छलक पड़ती हैं आँखें
अभावों के पत्थर
विरोध के स्वर
कटाक्षों के तीरों से
आहट अंतर्मन
मंजिल पर पहुँच कर
आखिर रो ही देता है।
लेकिन ये आँसू
औरों को
रुला जाते हैं।
फिर ढेरों
आशीष और
सर पर रखे हाथ
जीत का जश्न मनाते हैं।
17 टिप्पणियां:
हौसले की राह में अवरोधों से निकल कर जो ख़ुशी मिलती है , वही सबसे बेहतर !
जीत का जज्बा और हौसला इन्सान को हर अवरोध पार करने में सहायक होते है
बहुत ही सार्थक रचना!
हौसला हो तो कुछ भी असंभव नहीं।
agar haushla hai to jaan hai:)
हौसला ही जीतता है अंततः....
आपकी पोस्ट कल(3-7-11) यहाँ भी होगी
नयी-पुरानी हलचल
अभावों के पत्थर
विरोध के स्वर
कटाक्षों के तीरों से
आहट अंतर्मन
मंजिल पर पहुँच कर
आखिर रो ही देता है।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ... जीत के बारे में थोड़ा विस्तार से बतातीं तो और अच्छा लगता ..
हौसले जमीन पर
कब चलने देते हैं,
यही तो
मन के पर बनकर
आकाश में उड़ान
भरते हुए
कहीं और ले जाते हैं।sachchi baat
bhut hi sarthak aur bhaavpur rachna...
bhut hi sarthak aur bhaavpur rachna...
bhawbheeni......
आशा का संचार करती हैं ऐसी रचनाएँ ..
बहुत सुंदर रचना।
शुभकामनाएं
मार्मिक प्रस्तुति....
aakhir me hausle ki hi jeet hoti hai .
ant me chhupa sandesh khushi aur sukoon de gaya.
हौसले जमीन पर
कब चलने देते हैं,
यही तो
मन के पर बनकर
आकाश में उड़ान
भरते हुए
कहीं और ले जाते हैं |
सत्य और शिव...आभार...
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