पीछे पीछे जाने की आदत नहीं है,
आवाज दोगे तो हम साथ होंगे।
नजर आयें न फिर भी ये अहसास होगा,
तुम्हारे हाथों में हर वक्त मेरे हाथ होंगे।
कदम से कदम मिलाकर हम चलेंगे,
तुमसे न कोई मेरे निहित स्वार्थ होंगे,
छलके कभी गम में तेरी आँखों से आंसूं,
समेटने को मेरा आँचल औ' हाथ होंगे।
बिछाते चलेंगे हम फूल तेरी राहों में,
गर काँटों से भरे कोई हालात होंगे।
गर अकेले चलोगे अँधेरे में फिर भी,
उजाले बने हम तेरे साथ साथ होंगे।
आवाज दोगे तो हम साथ होंगे।
नजर आयें न फिर भी ये अहसास होगा,
तुम्हारे हाथों में हर वक्त मेरे हाथ होंगे।
कदम से कदम मिलाकर हम चलेंगे,
तुमसे न कोई मेरे निहित स्वार्थ होंगे,
छलके कभी गम में तेरी आँखों से आंसूं,
समेटने को मेरा आँचल औ' हाथ होंगे।
बिछाते चलेंगे हम फूल तेरी राहों में,
गर काँटों से भरे कोई हालात होंगे।
गर अकेले चलोगे अँधेरे में फिर भी,
उजाले बने हम तेरे साथ साथ होंगे।
14 टिप्पणियां:
कदम से कदम मिलाकर हम चलेंगे,
तुमसे न कोई मेरे निहित स्वार्थ होंगे,
वाह...इस ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई स्वीकारें...
नीरज
छलके कभी गम में तेरी आँखों से आंसूं,
समेटने को मेरा आँचल औ' हाथ होंगे।
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हैं रेखा जी!
"गर अकेले चलोगे अँधेरे में फिर भी,
उजाले बने हम तेरे साथ साथ होंगे।"
बहुत अच्छा लिखा है आपने.
सादर
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मूर्ख ही तो हैं
बहुत सुन्दर रचना...बधाई.
Bahut sundar... lekha ha apne.. apki rachna bahut umda aur dil ko chune wali hoti hain.. Sadhuwad.
गर अकेले चलोगे अँधेरे में फिर भी,
उजाले बने हम तेरे साथ साथ होंगे।
zarur...
एक ख़ूबसूरत रचना।
खुशनसीब होंगे जिनके साथ इन लोगों के हाथ होंगे ...
सार्थक सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति !
वाह ..ऐसा साथ मिले तो क्या बात है ..बहुत सुन्दर
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 04 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
खूबसूरत रचना ,बधाई
बहुत खूबसूरत रचना।
गर अकेले चलोगे अँधेरे में फिर भी,
उजाले बने हम तेरे साथ साथ होंगे।
वाह ...बहुत कुछ कहती यह पंक्तियां ....।
bahut khoobsurat abhivyakti.
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