होली आई रे रंगीली,
उड़े मस्ती के रंग.....
जले मन का कलुष
होली की लपटों के संग,
गले मिले सब मानुष
भूले कल की वो जंग.
होली आई रे रंगीली
उड़े मस्ती के रंग....
चलो खेले रे होली
भीगे रंग में अंग-अंग,
गूंजे गीत फागुन के
बाजे ढोल औ' मृदंग.
होली आई रे रंगीली
उड़े मस्ती के रंग..
कहीं खेले लट्ठमार
कहीं रंगों की फुहार
निकले मन के गुबार
दिखी भंग की तरंग.
होली आई रे रंगीली
उड़े मस्ती के रंग....
5 टिप्पणियां:
होली के अवसर पर सुन्दर रचना ।
आपकी कविता तो होली के सारे रंग समेटे हुए हैं...\ब्लॉग की साज सज्जा भी बहुत सुन्दर लग रही है...ढेरों शुभकामनाएं,होली की
होली "मंगल मिलन" की हार्दिक शुभकामनाएं
wah hare ggulabi,nile ,pile sare rang hain....bhaut sundar.
होली पर बहुत सुन्दर रचना
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