नव वर्ष
नव मुकुलित
कलियों सा
खिलने को तैयार।
इससे पहले
विधाता तू इतना
कर दे --
सद्बुद्धि, सद्चित्त , सद्भावना
उन्हें दे दे,
जिन्हें इसकी जरूरत है।
जिससे
कोई भी दिन नव वर्ष का
रक्त रंजित न हो
मानव की मानव से ही
कोई रंजिश न हो,
भय न छलके आंखों में
मन में कोई शंकित न हो,
एक दीप
ऐसा दिखा दो
जिसके प्रकाश में
मन कोई कलुषित न हो,
नव प्रात का रवि
ऐसा उजाला करे
हर कोना सद्भाव से पूरित हो
सब चाहे, सोचें तो
बस खिलते चमन की सोचें
शान्ति, प्यार और अमन की सोचें,
पहली किरण के साथ
फूटे गीत मधुर
जीव , जगत, जगदीश्वर
सबके लिए नमन की सोचें।
नव वर्ष सबको शत शत शुभ हो।
सोमवार, 22 दिसंबर 2008
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9 टिप्पणियां:
आपके यह प्रार्थना में हम सभी शामिल हैं.ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करें.
अत्यन्त भावपूर्ण और सुंदर इस रचना हेतु आपका साधुवाद.
बहुत-2 बधाई आते हुए नवर्ष की पावन बेला पर
ati sunder nav varsh me aapki sabhi kamnaayen pooran ho
नववर्ष पर बहुत सुंदर रचना......आपको भी नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
बडी कठिन मांग है- अब विधाता तो इसे पूरी करने से रहा:)
सबके लिए नमन की सोचें ।
नव वर्ष सबको शत शत शुभ हो ।
भावपूर्ण और सुंदर इस रचना
प्रभावशाली रचना
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
मुझे नहीं लगता कि विधाता यह करने वाला है। हमें व आपको मिलकर अपने बच्चों को ही यह सिखाना होगा। नववर्ष की शुभकामनाएँ।
घुघूती बासूती
cmpershad ji,
असंभव कुछ भी नहीं , ऐसा मेरा विशवास है. माँगना हमारा हक़ है और देना उसकी मर्जी. प्रयास तो कर ही सकते हैं क्या पता कुछ चमत्कार हो जाए....
Be positive.
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