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शनिवार, 16 मई 2020

हाइकु !

हाइकु

ये धरा हिली 
वो महसूस किया
हिला ये जिया।
***
भय में जीना
मरने से बुरा है
दण्ड निरा है।
***
जीवन अब 
अनुशासित जीना
नहीं है खोना।
***
विश्व आ रहा
अब पीछे हमारे
वेदों के द्वारे।
***
कोरोना क्या है?
प्रकृति की सज़ा है
एक रज़ा है ।
***


9 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

सामयिक हाइकु। अच्छी रचना।

Sarita Sail ने कहा…

बढ़िया

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

वाह

अजय कुमार झा ने कहा…

सामयिक और सटीक | कितनी कमाल की शैली और विधा है ये दीदी |

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

आते रहे।

संगीता पुरी ने कहा…

सटीक लिखा है ----

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सामयिक और सुन्दर हाइकु

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

वाह!

priyadarshini ने कहा…

वाह दीदी ! कितना अच्छा लिखा है। मैंने जैसे ही पढा तुरंत दोनों बच्चो को सुनाया। इस शैली में लिखने की मुझे आपसेट्रेनिंग लेनी है।