चिट्ठाजगत www.hamarivani.com

शनिवार, 24 अगस्त 2019

बात मित्रों की !



जब पलटती हूँ 
अतीत के पन्नों को
कुछ लम्हे, कुछ बातें,
जेहन में बसी हैं आज भी ,
कुछ तस्वीरें चस्पा हैं मित्रों की ।

एक उदासी भी
चुरा लेती थी हँसी सबकी, 
नजरें तो लगी होती है चेहरे पर  
उदासी का सबब जानने को
बात कुछ और थी ऐसे  मित्रों की ।

ऐसे ही इस दिन
सारे मुस्कुराते हुए चेहरे  
कहीं भी हों, सामने होते हैं,
कभी वीडियो पर , कभी पन्नों पर
यही तो फितरत होती है मित्रों की ।

हर रिश्ते से बड़ा,
हर दुख सुख में साथ खड़े,
हाथ थाम लेते हैं अपनों से
दुनिया बदले, नहीं बदलती है ,
इस जीवन में फितरत मित्रों की ।

1 टिप्पणी:

Nitish Tiwary ने कहा…

बहुत सुंदर कविता।