आज`राजनीति पर कुछ हाइकू !
राजनीति में
सब कुछ जायज
स्याह सफेद !
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मत उछालो
कीचड दूजे पर
तुम भी थे।
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सात पर्दों में
छिपा अपराध भी
खुला जरूर।
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कितना मिले
कितना समेट लें
ख़त्म न हो जो।
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लोकतंत्र में
जुटी हुई भीड़ की
क्षमता शून्य।
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राजतन्त्र में
चिपके सत्ता से वो
वही लोकतंत्र।
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राजनीति में
सब कुछ जायज
स्याह सफेद !
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मत उछालो
कीचड दूजे पर
तुम भी थे।
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सात पर्दों में
छिपा अपराध भी
खुला जरूर।
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कितना मिले
कितना समेट लें
ख़त्म न हो जो।
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लोकतंत्र में
जुटी हुई भीड़ की
क्षमता शून्य।
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राजतन्त्र में
चिपके सत्ता से वो
वही लोकतंत्र।
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