जीवन में
लोगों के लिए ,
ये तीनों महान आत्माएं
प्रश्नों के उत्तर लेकर
फिर से आयीं हैं।
कलयुग में उठ रहे
प्रश्नों को लेकर
अपने चरित्र पर उछलते कीचड से
बचाने को अपने अस्तित्व को खुद आये हैं।
ये तीनों
राम , सीता और लक्ष्मण हैं।
हम बार बार उठाते है प्रश्न ?
राम को
कायर , विवश और स्वार्थी भी कहा ,
अपने अधिकार छोड़
महलों का सुख त्याग,
नंगे पाँव
जंगलों में भटकते ,
पत्नी खोयी ,
भाई को दांव पर लगाया।
सीता सी पत्नी मिली तो
फिर अग्निपरीक्षा क्यों?
अग्निपरीक्षा भी देकर विश्वास नहीं,
मिथ्यारोपों के भय से फिर त्यागा क्यों ?
राम बोले -
मानव बन
अपने देवत्व को त्यागा नहीं जाता।
धरती पर जन्मा
तो धरती से जुड़ना था।
यहाँ पर रहकर
जीवन का एक आदर्श बनाना था।
तभी तो अपनी मर्यादा को तोड़ नहीं पाया।
मानवों में एक आदर्श रचना था।
तभी तो मानवों में पूज्य हैं राम .
सीता की आत्मा
शांत , मौन
पति अनुगामिनी ,
अपनी शुचिता के लिए
अग्नि में प्रविष्ट हुई।
फिर दे अग्नि परीक्षा
आत्मा देह में प्रविष्ट हुई।
फिर भी
लांक्षन जिया
लेकिन नारी का सम्मान
नहीं आत्मसम्मान को
अपने साथ जोड़ कर
नारी को प्रतिमान दिया।
तीसरी लक्ष्मण की आत्मा -
क्रोधी , संयमित और आज्ञाकारी ,
राजसुख, गृहसुख , पत्नीसुख
सब त्याग कर
चौदह साल
बिना सोये ,
रक्षा में खड़े खड़े गुजारे।
तभी तो
मेघनाद का वध किया।
माँ की रक्षा में
दिन रात एक किया।
और फिर
उसी माँ को
घर से दूर मुनि आश्रम छोड़ा।
फिर भी मैं दोषी ?
पत्नी का दोषी ,
माँ का दोषी ,
मानवता का दोषी ,
अपने रिश्तों का दोषी ,
नहीं लक्ष्मण तो
राम का अनुगामी भाई ,
सबकी नजर में दोषी।
लेकिन आज भी
लक्ष्मण जिन्दा है इंसानों में।
और फिर इन्हीं चरित्रों को
दुहरा रही है दुनियां।
इसी लिए हमारी आत्माएं
इस युग में रूबरू हैं।
2 टिप्पणियां:
बहुत सच्ची कविता है दीदी....
बहुत अच्छी कविता
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