माँ पालती है अपने गर्भ में सभी को एक तरह
फूलों की जगह उगे कांटे तो उसका दोषी कौन ?
आँचल से लगाकर दूध पिलाया था सबको एक तरह
कोई बना मानव,कोई निकला शैतान तो दोषी कौन?
बस एक को छोड़ कर हर औरत होती है रिश्ते में ,
माँ, बहन,बेटी ,नजर हो नर की ख़राब तो दोषी कौन?
युगों के बाद भी नर होने का घमंड और आतंक
बन कर खून तुम्हारी रगों में दौड़े तो दोषी कौन?
नजरें बदली, बदले मूल्य भूले रिश्तों की गरिमा
दहलीज के बाहर सबको समझे मादा तो दोषी कौन ?
फूलों की जगह उगे कांटे तो उसका दोषी कौन ?
आँचल से लगाकर दूध पिलाया था सबको एक तरह
कोई बना मानव,कोई निकला शैतान तो दोषी कौन?
बस एक को छोड़ कर हर औरत होती है रिश्ते में ,
माँ, बहन,बेटी ,नजर हो नर की ख़राब तो दोषी कौन?
युगों के बाद भी नर होने का घमंड और आतंक
बन कर खून तुम्हारी रगों में दौड़े तो दोषी कौन?
नजरें बदली, बदले मूल्य भूले रिश्तों की गरिमा
दहलीज के बाहर सबको समझे मादा तो दोषी कौन ?
14 टिप्पणियां:
sashkat rachna abhivaykti........
आँचल से लगाकर दूध पिलाया था सबको एक तरह
कोई बना मानव,कोई निकला शैतान तो दोषी कौन?
bahut sahi sawal aur bhavabhivyakti .badhai
बहुत खूब आपके भावो का एक दम सटीक आकलन करती रचना
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
दोष किसी का है नहीं, बिगड़ा है परिवेश।
इसीलिए तो विश्व में, अपमानित है देश।।
--
बहुत सुन्दर प्रेरक रचना!
यह आतंक महिलाएं खत्म नहीं होने देंगी .... शिक्षा ही गलत है ! अन्यथा विरोध में स्त्री आतंक शुरू है
सुंदर सशक्त कविता. क्या जेनेटिक्स उत्तरदायी है
दोष किसे दें .... मानसिकता ही बदल रही है ....
दोष किसे दे,
चारो ओर
स्वतंत्रता की बात
लेकिन इसके माने क्या हैं ?
भूली मानव जात.
आदर और संस्कृति भूलकर
भागे प्रगति जगत में
मूल्यों की सारी परिभाषा
छिपी, कहीं गर्त में .
... अच्छी भावनाएं रेखा जी
संतान में अच्छे संस्कार विकसित करने का और सही वातावरण देने का दायित्व भी माता-पिता का ही है.
यह ठीक है कि बाहरी प्रभाव आते हैं लेकिन प्रारंभ से उसे दिशा देना संरक्षकों का ही दायित्व है .
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार-
सादर नमन-
आँचल से लगाकर दूध पिलाया था सबको एक तरह
कोई बना मानव,कोई निकला शैतान तो दोषी कौन?
सार्थक ... माँ के लिए तो सब एक से होते हैं ... धरती की तरह वो सबको पालती है ...
सबका दोषी कौन ...ये आज तक कोई जान पाया क्या ?
बहुत बढ़िया और प्रेरक
Gyan Darpan
सटीक प्रश्न उठाये हैं...उत्तम रचना!!
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